नई दिल्ली, 06 सितम्बर। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते की कवायद चल रही है, लेकिन जेबीसीसीआई (Joint Bipartite Committee for the Coal Industry) की छह बैठकें हो जाने के बाद भी इसे अंतिम अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सका है। दरअसल पूरा मामला मिनिमम गारंटी बेनिफिट (MGB) पर आकर अटक गया है।
6वीं बैठक में कोल इंडिया लिमिटेड प्रबंधन ने अधिकतम 10 फीसदी एमजीबी देने का प्रस्ताव रखा, जबकि यूनियन ने 30 प्रतिशत की डिमांड की। मामला आगे नहीं बढ़ सका और इस चर्चा को अगली यानी जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक के लिए छोड़ दिया गया। संभवतः यह बैठक अक्टूबर के पहले सप्ताह में होगी। कोयला कामगारों को बेसब्री से इस बैठक का इंतजार रहेगा।
इधर, बताया जा रहा है सीआईएल प्रबंधन 10 फीसदी एमजीबी से आगे नहीं बढ़ेगा। इसमें DPE (Department of Public Enterprises) की गाइडलाइन एक बड़ा रोड़ा है। DPE के नियमों में छूट दिए बगैर यह रोड़ा बरकरार रहेगा। देखना यह होगा कि 7वीं बैठक के पूर्व प्रबंधन कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) से क्या दिशा- निर्देश प्राप्त करता है। यह भी कहा जा रहा है कि यदि छूट मिल भी गई तो प्रबंधन अधिकतम 15 से 18 के बीच ही एमजीबी प्रदान करने सहमत होगा।
लिहाजा जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक में न केवल बारगेनिंग (Bargaining) की तगड़ी स्थिति निर्मित होगी बल्कि तनातनी का माहौल भी उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि यूनियन 20 फीसदी से ज्यादा एमजीबी तभी हासिल कर पाएगा जब कड़ी बारगेनिंग के साथ आंदोलन- हड़ताल जैसी चेतावनी जारी की जाएगी। इसके लिए चारों यूनियन को एकजुट रहना होगा।
यूनियन ने संयुक्त रूप से सौंपे गए चार्टर ऑफ डिमांड में 50 फीसदी एमजीबी की मांग रखी थी। 5वीं बैठक में यूनियन 50 से 47 प्रतिशत एमजीबी पर आ गया था। 6वीं बैठक में 35 फिर 30 फीसदी एमजीबी की मांग प्रबंधन के समक्ष रखी गई। सूत्रों ने बताया है कि कुछ यूनियन 35 फीसदी से नीचे नहीं आना चाह रहे थे, लेकिन एक यूनियन के कहने पर 30 फीसदी पर सहमति बनाई गई।
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