नई दिल्ली, 03 नवम्बर। केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने कहा है कि भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को कोयला उत्पादन और उसके गैसीकरण की परियोजनाओं में अधिक निवेश की आवश्यकता है और वह भी तब जब विश्व स्तर पर, विशेष रूप से गैस के ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं।
कोयला मंत्रालय की कोयला खदान नीलामी के छठे दौर का आज नई दिल्ली में शुभारंभ करते हुए वित्त मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत वर्तमान में दुनिया में सबसे अच्छा निवेश गंतव्य है। मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार की नीतिगत स्थिरता और पारदर्शी प्रक्रिया के कारण बिजली क्षेत्र के लिए कोयले के आयात में 41% की कमी आई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आज की 141 कोयला खदानों की नीलामी से बारह राज्यों को प्रत्यक्ष लाभ होगाI कोयला क्षेत्र को खोलने (अनलॉक करने) के लिए हाल में ही की गई पहलों के लिए कोयला मंत्रालय की सराहना करते हुए श्रीमती सीतारमन ने कहा कि खनन क्षेत्र में सुधार हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को सही गति प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि वित्त मंत्रालय कोयले के गैसीकरण और वाणिज्यिक खनन में प्रोत्साहन के लिए हर संभव सहायता करेगा।
समारोह को संबोधित करते हुए कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि कोयला मंत्रालय कोयले के उपयोग को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक पद्धति ढूँढ रहा है। श्री जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने कोयले के गैसीकरण के लिए 6000 करोड़ रुपये अन्वेषण प्रक्रिया के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया है। अब तक की सबसे बड़ी नीलामी के दौरान आज ग्यारह राज्यों की 141 खदानों की नीलामी की गई।
श्री जोशी ने कहा कि पूर्व में नीलाम हो चुकी खदानों में उत्पादन शुरू हो गया है और आशा है कि अगले वर्ष तक नई खदानों से एक से 1.5 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होने लगेगाI श्री जोशी ने आगे कहा कि अब तक की गई समीक्षा के अनुसार कोयला मंत्रालय इस वर्ष 90 करोड़ टन कोयला उत्पादन होने का अनुमान लगा रहा है।
समारोह को कोयला, खान एवं रेल राज्य मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे, कोयला सचिव अमृत लाल मीणा और अपर सचिव एम. नागराजू ने भी संबोधित किया।
वाणिज्यिक नीलामी के छठे दौर में 133 कोयला खदानें नीलामी के लिए रखी गई थीं, जिनमें से 71 नई कोयला खदानें हैं और 62 कोयला खदानें वाणिज्यिक नीलामी के पहले चरणों से चल रही हैं। इसके अतिरिक्त, वाणिज्यिक नीलामी के पांचवें दौर के दूसरे प्रयास के तहत 8 कोयला खदानों को शामिल किया गया था, जिसके लिए पहले प्रयास में एकल बोलियां प्राप्त हुई थीं। नीलामी की इस किश्त के शुभारंभ के साथ ही कोयला मंत्रालय तापीय (थर्मल) कोयले के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
संरक्षित क्षेत्रों, वन्यजीव अभयारण्यों, संवेदनशील बसावटों, 40% से अधिक वन क्षेत्रों, भारी निर्मित क्षेत्र आदि के अंतर्गत आने वाली खदानों को नीलामी से बाहर रखा गया है। जिन क्षेत्रों में घनी बस्ती, उच्च हरित आवरण या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे आदि की उपस्थिति है, के अंतर्गत आने वाली कुछ ऐसी कोयला खदानों की ब्लॉक सीमाओं में बोलीदाताओं की रुचि और इन कोयला ब्लॉकों में भागीदारी बढ़ाने के लिए हितधारकों के परामर्श के दौरान प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर संशोधन किया गया है। नीलाम की जा रही खदानें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, तमिलनाडु और बिहार के कोयला/लिग्नाइट वाले राज्यों में फैली हुई हैं।
नीलामी प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताओं में अग्रिम राशि और बोली सुरक्षा राशि में कमी, आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानों के मामले में कोयला खदान के कुछ हिस्से को छोड़ने की अनुमति, राष्ट्रीय कोयला सूचकांक और राष्ट्रीय लिग्नाइट सूचकांक की शुरुआत, बिना प्रवेश बाधाओं के भागीदारी में आसानी, कोयला उपयोग में पूर्ण लचीलापन, अनुकूलित भुगतान संरचनाएं, शीघ्र उत्पादन के लिए प्रोत्साहन, कोयला गैसीकरण और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल है।
निविदा दस्तावेज की बिक्री 03 नवंबर, 2022 से शुरू होगी। खदानों, नीलामी की शर्तों, समय सीमा आदि का विवरण मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएसटीसी) के नीलामी मंच पर देखा जा सकता है। प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर एक पारदर्शी दो चरण की प्रक्रिया के माध्यम से नीलामी ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी के लिए कार्य प्रणाली कोयला मंत्रालय के एकमात्र लेनदेन सलाहकार एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड ने विकसित की थी और वही कोयले की नीलामी प्रक्रिया के संचालन में मंत्रालय की सहायता कर रही है।
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