नई दिल्ली, 25 अप्रेल। जेबीसीसीआई- XI के गठन के साथ ही एक मंच पर आए कोल सेक्टर के श्रमिक संगठनों में अब फूट पड़ चुकी है। 9वीं बैठक के बाद खुलकर आरोप प्रत्यारोप हो रहे हैं। BMS की ओर से एक बार INTUC पर हमला बोला गया है। इस दफे HMS को भी लपेटे में लिया गया है। इसके पहले वेतन समझौते में देरी के लिए इंटक पर रोड़ा बनने का आरोप मढ़ा गया था। इसका इंटक नेता एसक्यू जमा ने करारा जवाब दिया था।
“आम कर्मचारी विचार करें’’ शीषर्क के साथ एक पोस्ट वायरल की गई है। बीएमएस से जुड़े नेताओं द्वारा इस पोस्ट को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर डाला जा रहा है। इसमें आरोप लगाया गया है इंटक और एचएमएस के नेता 11वें वेतन समझौते में देरी करने साजिश की जा रही है।
देखें इंटक और एचएमएस नेताओं को लेकर क्या आरोप लगाए गए हैं :
यह अजीबोग़रीब स्थिति है कि उन्हीं नेताओं ने जिन्होंने अतीत में पिछले समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, 18.4.23 को जेबीसीसीआई की बैठक में 19 फीसदी एमजीबी लागू करने के बारे में स्वयं संदेह जताकर मात्र टाइम पास किया।
आम श्रमिकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। ऐसे नेताओं को श्रमिकों को बताना पड़ेगा कि क्या पिछली बैठकों में कोयला मंत्रालय ने एक बार एमजीबी और बाद में पीस मील के आधार पर अलग से भत्ते को मंजूरी दी थी।
क्या यह तथ्य सही नहीं है कि ऐसे नेताओं ने ही 18.4.23 को अनावश्यक रूप से चिल्लाने और बहस करने में समय तब तक बर्बाद किया जब तक मिटिंग समाप्ति की घोषणा नही कर दी गयी?
यह तथ्य भी सही नहीं है क्या कि एक ओर जहां इन नेताओं द्वारा मीटिंग में व्यवधान कर मीटिंग को अगली बार तक टालने की कोशिश की जा रही थी, वहीं दूसरी ओर अन्य यूनियन नेता पहले की तुलना में भत्तों आदि में बेहतर वृद्धि पाने की कोशिश कर मीटिंग को फाइनल कराकर अंतिम रूप देने की अंत तक कोशिश करते रहे थे?
मीटिंग में व्यावधान डालकर बार बार मीटिंग रखवाने की लालसा पाले नेताओं को समझना चाहिए कि आम श्रमिक 19 फीसदी एमजीबी से संतुष्ट है और वह जेबीसीसीआई को जल्दी फाइनल कर समझौता अविलंब लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
अब इसमें बेवजह जो कोई भी अपने निजी स्वार्थ में देरी करने या कराने की साजिश करेगा उसे आम श्रमिकों के कोपभाजन और आक्रोश का सामना करना होगा।
जेबीसीसीआई के नेताओं के लिए बेहतर यही होगा कि अपने स्वार्थ और राजनीति को दूर रखते हुए आम श्रमिको के भले को ध्यान में रखकर वेतन समझौता 11 को फाइनल कराकर इसे जल्द से जल्द लागू कराने का सामूहिक प्रयास हो।