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कोरबा (आईपी न्यूज)। यूं तो जीवन ही हर कदम पर एक चुनौती है परंतु जब चुनौतियां लैंगिक आधार पर कृत्रिम तौर पर खड़ी कर दी जाएं तो समाज की मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने उन महिलाओं के पक्ष में एक बड़ा फैसला दिया जो सेनाओं मे कार्यरत हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट का फैसला वृहद भारतीय समाज की उस मानसिकता को भी खंडित करने वाली है जिसके अनुसार कई तरह के कार्यों के लिए महिलाएं बनी ही नहीं हैं। बहरहाल, भारतीय समाज में महिलाओं ने सदियों के अपने संघर्ष और बराबरी के लिए कभी न खत्म होने वाली जिजीविषा को आगे रखकर ऐसे मुकाम हासिल किए हैं जिन पर देश के हर एक नागरिक को गर्व होना चाहिए। जिन कार्य क्षेत्रों को कभी सिर्फ पुरुषों के लिए जाना जाता था वहां महिलाओं ने अपनी कुशलता से न सिर्फ ऊंचाइयां पाई हैं बल्कि ऐसे बंेचमार्क बना दिए हैं जिन्हें छू पाना पुरुषों के लिए भी बड़ी बात है।
कोरबा क्षेत्र उद्योग और उद्यमिता का गढ़ है। देश की बड़ी औद्योगिक इकाइयां यहां एल्यूमिनियम, कोयला और बिजली बनाकर देश की सेवा कर रही हैं। इन औद्योगिक इकाइयों में देश भर की प्रतिभाएं आकर अपने हुनर से राष्ट्र को प्रगति पथ पर अग्रसर करने मंे योगदान दे रही हैं। इन इकाइयों में महत्वपूर्ण है भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको)। एल्यूमिनियम उत्पादन के क्षेत्र में संलग्न छत्तीसगढ़ की एकमात्र और भारत के प्रमुख इस उद्योग का संचालन वेदांता समूह द्वारा किया जाता है। वर्तमान में बालको की वार्षिक एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता 5.70 लाख टन और बिजली उत्पादन क्षमता 2010 मेगावॉट है। इस उद्योग की खासियत यह है कि यहां पुरुषों के लिए आगे बढ़ने के जितने अवसर मौजूद हैं, वे सभी महिलाओं को बराबरी के साथ उपलब्ध हैं। चाहे तकनीकी क्षेत्र हो या फिर गैर तकनीकी, हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं भागीदारी कर रही हैं। वेदांता समूह ने अपनी कार्य संस्कृति को इस तरह से विकसित किया है जिससे विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में श्रेष्ठ और विविधतापूर्ण कार्यबल को आगे बढ़ने के भरपूर अवसर मिलते हैं। प्रतिभाशाली उद्यमी महिलाओं को आगे बढ़ाने।

 

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