रायपुर। दंतेवाड़ा के बैलाडिला स्थित डिपॉजिट नंबर-13 (लौह अयस्क खदान) आदिवासियों के विरोध के चलते लंबे समय से चर्चा में है। इस खदान का एमओडी (माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर) यानी खनन का अधिकार अडानी ग्रुप की कंपनी बैलाडीला आयरन ओर माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (बीआइओएमपीएल) के पास है। एमओडी हासिल करने के लिए कंपनी ने 2018 में यस बैंक की 139 करोड़ की गारंटी जमा की थी। फिलहाल यस बैंक खतरे में है। इधर, राज्य सरकार ने भी आबंटन निरस्त करने के लिए अडानी की कंपनी को नोटिस जारी कर रखा है। इस दोहरी मार से अडानी को मुश्किल हो सकती है। एमओडी के लिए अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड (एइएल) ने 100 करोड़ रुपये की परफॉरमेंस गारंटी दी है। वहीं, बीआइओएमपीएल ने 39.45 करोड़ रुपये की स्पेशल परपस व्हीकल (एसपीवी) गारंटी जमा की है। दोनों की बैंक गारंटी यस बैंक के माध्यम से 17 अक्टूबर, 2018 को जमा की गई है। यह खदान नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) को आवंटित है। खनन के लिए एनएमडीसी ने 2006 में छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम (सीएमडीसी) के साथ मिलकर संयुक्त उपक्रम एनसीएल (एनएमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड) का गठन किया था। दोनों कपंनियों की हिस्सेदारी क्रमशरू 51 व 49 फीसद है। एनसीएल ने एमओडी के लिए 2017-18 में टेंडर जारी किया। इनमें अडानी समेत 10 कंपनियों ने टेंडर जमा किया था। इधर सरकार ने छह बिंदुओं पर कंपनी को नोटिस जारी किया है। इसमें उत्खनन में विलंब व ग्रामसभा से नियमानुसार अनुमति न लिए जाने की बात कही गई है। नोटिस का जवाब देने के लिए एनसीएल को 13 मार्च तक का वक्त दिया गया है।टूट सकती है एनसीएल रू अडानी को सरकार के नोटिस के बाद एनसीएल टूट सकती है। एनसीएल एनएमडीसी और सीएमडीसी को मिलाकर बनाई गई कंपनी है। इसी के जरिये अडानी को खनन का ठेका दिया गया है। सरकार ने नोटिस में ठेका देने के लिए कराई गई ग्रामसभा पर भी सवाल उठाए हैं।

 

source : NaiDunia

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