नई दिल्ली, 01 जुलाई। कोयले कामगारों केे 11वें वेतन समझौते (NCWA- XI) के खिलाफ कार्यकार संवर्ग ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspur Highcourt) में 28 जून को याचिका (Case no. WPS/4064/2023) दायर की और कोर्ट ने इस 30 जून को पंजीकृत कर लिया। बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका पर 3 जुलाई को सुनवाई होगी।
इसी तरह जबलपुर हाईकोर्ट में इस संदर्भ में दायर की गई याचिका पर शनिवार को सुनवाई हुई। अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख मुकर्रर की गई है। बताया है गया है दिल्ली, कोलकाता, इलाहाबाद, नागपुर हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं।
industrialpunch.com को बिलासपुर हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका की एक प्रति प्राप्त हुई है। यह याचिका कार्यकारी संवर्ग के 19 लोगों ने दायर की है। सभी याचिकर्ता SECL में कार्यरत हैं। याचिका में सचिव हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटरप्राइजेस मंत्रालय नई दिल्ली, कोयला मंत्रालय के कोल सेक्रेटरी, कोल इंडिया चेयरमैन, सीआईएल निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध), एसईसीएल सीएमडी एवं जेबीसीसीआई (JBCCI) को पार्टी बनाया गया है।
याचिका में उल्लेखित किया गया है प्रतिवादी कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) कंपनी के कर्मचारी हैं और वर्तमान में कार्यकारी कैडर में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। कोल इंडिया लिमिटेड के कर्मचारियों को अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की तरह दो श्रेणियों यानी कार्यकारी और गैर- कार्यकारी में वर्गीकृत किया गया है। बातचीत के माध्यम से वेतन समझौता को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिवादी नंबर 1 यानी डीपीई ने 24.11.2017 को दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिन्हें कैबिनेट द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया है, जो स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है कि श्रमिक के लिए कोई भी वेतन वार्ता और उसे अंतिम रूप देना उक्त अधिसूचना के तहत उल्लिखित शर्तों के अधीन है। जिसमें उक्त नीति के खंड 2 (IV) और (V) के तहत यह विशेष रूप से निर्धारित किया गया है कि कामगारों का वेतनमान इस तरह से तय किया जाना चाहिए कि वे कार्यकारी अधिकारियों के मौजूदा वेतनमान से अधिक न हों।
याचिका में कहा गया है कि वेतन विसंगति को लेकर निरंतर अनुरोध किया गया। क्यों क पूर्व से ही वेतन ओवरलैपिंग की स्थिति बनी हुई है। याचिका में जेबीसीसीआई की बैठकों का जिक्र करते हुए बताया गया है कि इसमें डीपीई की गाइडलाइन को लेकर कोयला मंत्रालय से अनुरोध करने और इसमें छूट की मांग करने की भी चर्चा की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि कई आपत्तियों के बावजूद और यह जानते हुए भी कि वेतन में संशोधन का प्रस्ताव डीपीई दिशा- निदेर्शों के विपरीत होगा, जेबीसीसीआई- XI ने कोयला मंत्रालय के समक्ष सिफारिश करते हुए 20 मई, 2023 को राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता- XI को अंतिम रूप दे दिया गया। कोयला मंत्रालय ने बाद में अपने पत्र दिनांक 20.06.2023 को भी डीपीई की गाइडलाइन को संदर्भित किया। इस बीच सभी अभ्यावेदन और डीपीई निर्देशों के स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले उल्लंघन के बावजूद, कोयला मंत्रालय ने दिनांक 22.06.2023 को आक्षेपित आदेश जारी किया है और दिनांक 20.05.2023 के उक्त समझौता ज्ञापन को अपनी पुष्टि दी है। उक्त स्थिति और तथ्य निर्विवाद होने के कारण जहां NCWA- XI को लागू करने में डीपीई दिशानिर्देशों दिनांक 24.11.2017 का उल्लंघन किया गया है, प्रतिवादी अधिकारियों ने उक्त निर्णय को जल्दबाजी में लागू किया है, जिससे याचिकाकर्ताओं को अवज्ञा की हानिकारक स्थिति में लाया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष डीपीई की गाइडलाइन, जेबीसीसीआई बैठकों का पूरा ब्योरा, NCWA- XI का एमओयू, वेतन विवाद कैसे उत्पन्न हो रहा है, आंकड़ों के साथ इसकी जानकारी प्रस्तुत की है।
यहां बताना होगा कि कोल अधिकारियों के दो संगठनों ने भी कोल इंडिया प्रबंधन को वेतन विवाद को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे रखी है। कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CMOAI) ने महारत्न कंपनी के बराबर पे- स्केल के अपग्रेडेषन लागू करने की मांग के साथ सीआईएल प्रबंधन के साथ बैठक की थी और सहमति बना ली थी। इस आषय का प्रस्ताव सीरआईएल ने कोयला मंत्रालय को भेजा दिया गया था, लेकिन मामला कोल मंत्रालय में लटक गया। इस बीच कोयला कामगारों के 11वें वेन समझौते को अंतिम रूप देते हुए इस लागू भी कर दिया गया। सीएमएओआई ने सीआईएल को पे- स्केल के अपग्रेडेशन लागू करवाने के लिए 15 जुलाई तक अल्टीमेटम दिया है। इसके बाद चरणबद्ध आंदोलन छेड़ा जाएगा।