नई दिल्ली, 04 जून। बिलासपुर हाईकोर्ट (Bilaspu High Court) ने NCWA- XI के एमओयू के तहत नए वेतनमान के भुगतान पर स्टे देने से भले ही इनकार कर दिया है, लेकिन इस पर तलवार अभी भी लटक रही है।
3 जुलाई की आर्डरशीट में अंतिम लाइन में न्यायाधीश पी सेम कोशी ने लिखा है कि, “विवादित आदेश का कोई भी कार्यान्वयन वर्तमान रिट याचिका के परिणाम के अधीन होगा”।
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इसका आशय यह है कि NCWA- XI के एमओयू को निरस्त करने संबंधी मांग पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के पक्ष में कोई फैसला दिया तो नए वेतनमान पर इसका असर पड़ेगा। यानी NCWA- XI रद्द भी हो सकता है। हालांकि कोयला कामगारों को नए वेतनमान के अनुसार भुगतान प्रारंभ हो चुका है। मामले में अगली सुनवाई 4 सितम्बर को होगी। 4 सितम्बर को पता चलेगा कि कोर्ट का इस मसले पर कैसा रूख है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मामले में कोर्ट के समक्ष किस तरह की दलीलें देते हैं। बचाव पक्ष की दलीलें क्या और कैसी रहेंगी, यह भी देखना होगा। अमूमन इस तरह के मामलों में सुनवाई लंबी चलती है।
यहां बताना होगा कि हाईकोर्ट में NCWA- XI के एमओयू को रद्द करने की मांग संबंधी याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। कोर्ट ने इसके लिए 4 सितम्बर की तारीख मुकर्रर की है। एसईसीएल में कार्यरत कार्यकारी संवर्ग के 19 अधिकारियोें ने याचिका दायर कर रखी है। इसमें सचिव हैवी इंडस्ट्रीज एंड पब्लिक इंटरप्राइजेस मंत्रालय नई दिल्ली, कोयला मंत्रालय के कोल सेक्रेटरी, कोल इंडिया चेयरमैन, सीआईएल निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध), एसईसीएल सीएमडी एवं जेबीसीसीआई को पार्टी बनाया गया है।
याचिका में उल्लेखित किया गया है प्रतिवादी कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी के कर्मचारी हैं और वर्तमान में कार्यकारी कैडर में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं। कोल इंडिया लिमिटेड के कर्मचारियों को अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की तरह दो श्रेणियों यानी कार्यकारी और गैर-कार्यकारी में वर्गीकृत किया गया है। बातचीत के माध्यम से वेतन को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिवादी नंबर 1 यानी डीपीई ने 24.11.2017 को दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिन्हें कैबिनेट द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया है, जो स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है कि श्रमिक के लिए कोई भी वेतन वार्ता और उसे अंतिम रूप देना उक्त अधिसूचना के तहत उल्लिखित शर्तों के अधीन है। जिसमें उक्त नीति के खंड 2 (IV) और (V) के तहत यह विशेष रूप से निर्धारित किया गया है कि कामगारों का वेतनमान इस तरह से तय किया जाना चाहिए कि वे कार्यकारी अधिकारियों के मौजूदा वेतनमान से अधिक न हों।
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याचिका में कहा गया है कि वेन विसंगति को लेकरर निरंतर अनुरोध किया गया। याचिका में जेबीसीसीआई की बैठकों का जिक्र करते हुए बताया गया है कि इसमें डीपीई की गाइडलाइन को लेकर कोयला मंत्रालय से अनुरोध करने और इसमें छूट की मांग करने की भी चर्चा की गई थी। याचिका में कहा गया है कि कई आपत्तियों के बावजूद और यह जानते हुए भी कि वेतन में संशोधन का प्रस्ताव DPE दिशानिर्देशों के विपरीत होगा, JBCCI- XI ने कोयला मंत्रालय के समक्ष सिफारिश करते हुए 20 मई, 2023 को राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता- XI को अंतिम रूप दे दिया गया। कोयला मंत्रालय ने बाद में अपने पत्र दिनांक 20.06.2023 को भी डीपीई की गाइडलाइन को संदर्भित किया। इस बीच सभी अभ्यावेदन और डीपीई निर्देशों के स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले उल्लंघन के बावजूद, कोयला मंत्रालय ने दिनांक 22.06.2023 को आक्षेपित आदेश जारी किया है और दिनांक 20.05.2023 के उक्त समझौता ज्ञापन को अपनी पुष्टि दी है। उक्त स्थिति और तथ्य निर्विवाद होने के कारण जहां NCWA- XI डीपीई दिशानिर्देशों दिनांक 24.11.2017 का उल्लंघन कर रहा है, प्रतिवादी अधिकारी उक्त निर्णय को जल्दबाजी में लागू कर रहे हैं, जिससे याचिकाकर्ताओं को अवज्ञा की हानिकारक स्थिति में लाया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष डीपीई की गाइडलाइन, जेबीसीसीआई बैठकों का पूरा ब्योरा, एनसीडब्ल्यूए- 11 का एमओयू, वेतन विवाद कैसे उत्पन्न हो रहा है, आंकड़ों के साथ इसकी जानकारी प्रस्तुत की गई है।