नई दिल्ली, 30 अगस्त। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते को रद्द करने की मांग को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में दायर की गई याचिका पर 29 अगस्त को अंतिम सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा है। NCWA- XI को लेकर ही बिलासपुर हाईकोर्ट में 4 सितम्बर को सुनवाई होगी। इसी तरह दिल्ली हाईकोर्ट में 7 सितम्बर की तिथि सुनवाई के लिए निश्चित की गई है। सभी याचिकाएं वेतन विसंगति को लेकर कनिष्ठ कोल अफसरों द्वारा दायर की गई है।
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इधर, HMS से सम्बद्ध हिंद खदान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष नाथूलाल पाण्डेय ने इस संदर्भ में एक बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने अन्य श्रमिक संगठनों को जमकर लताड़ लगाई है और कहा कि एक मात्र एमएचएस यूनियन, जो एनसीडब्ल्यूए- XI को निरस्त करने दायर की गई रिट याचिका के खिलाफ कोर्ट में खड़ा हुआ है। अन्य श्रमिक संगठन इसके लिए आगे नहीं आए, यह एक सोचनीय विषय है।
नाथूलाल पाण्डेय ने कहा कि हिंद मजदूर सभा ने आवेदन दाखिल कर श्रमिकों का पक्ष रखने जबलपुर एवं बिलासपुर हाईकोर्ट में पक्षकार बना। किसी अन्य श्रम संगठन ने इस मुद्दे पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। एचएमएस ऐसा श्रमिक संगठन है, जब श्रमिकों पर आफत आती है तो वो ढाल के रूप में उनके हितों की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा हो जाता है।
जबलपुर हाईकोर्ट से अधिकारियों के वकील द्वारा अंत में यह निवेदन किया गया है कि श्रमिकों को मिलने वाले एरियर्स के भुगतान पर रोक लगाई जाए। हिंद मजदूर सभा ने हर संभव प्रयास किया है कि अधिकारियों द्वारा दाखिल रिट याचिका खारिज हो और श्रमिकों को मिलने वाली सारी सुविधाएं पूर्ववत जारी रहे। न्यायालय के समक्ष एरियर्स का भुगतान रोकने के मुद्दे पर हिंद खदान मजदूर फेडरेशन का तर्क सुनने के बाद अधिकारियों की बात पर न्यायाधीश द्वारा कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गई है। फेडरेशन की ओर से यह दलील दी गई कि अधिकारियों द्वारा उच्च न्यायालय के समक्ष तर्कहीन व तथ्यहीन काल्पनिक बातें रखी गई हैं। अधिकारी वर्ग न्यायालय को बताए कि किस अधिकारी का कर्मचारी से कम वेतन है। इस पर कोई सबूत नहीं प्रस्तुत नहीं किया जा सका।
न्यायालय ने कहा कि जिन श्रमिक संगठनों ने एनसीडब्ल्यूए- XI के एमओयू पर हस्ताक्षर किए उन्हें पक्षकार बनाना चाहिए। एचएमएस के वकील ने कहा के अधिकारियों की मांग को हम विरोध करते हैं। अधिकारियों के अधिवक्ता द्वारा लंबी बहस के बावजूद एरियर्स के भुगतान को रोकने का आदेश नहीं दिया।
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नाथूलाल पाण्डेय ने कहा कि यह सोचनीय विषय है कि अन्य श्रम संगठनों ने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत नहीं किया। इसका क्या कारण हो सकता है। हिंद खदान मजदूर फेडरेशन अधिकारियों व प्रबंधकों की नाराजगी की परवाह न करते हुये मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पक्षकार बना और अधिकारियों की याचिकाओं का जमकर विरोध किया।
श्री पाण्डेय ने कहा जब कभी कोयला श्रमिकां के हितों के खिलाफ कोई षडयंत्र रचता है, हिंद खदान मजदूर फेडरेशन (HMS) उसका विरोध करता है और अन्य श्रमिक संगठन ऐसे मौकों पर चुप्पी साध लेते हैं।