Shivkumar Yadav, file photo

नई दिल्ली, 05 सितम्बर। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते के 23 माह के मिले एरियर भुगतान में व्याप्त विसंगतियों को लेकर सीआईएल (CIL) चेयरमैन एवं निदेशक (कार्मिक एवं औद्योगिक संबंध) का ध्यान का आकृष्ट कराया गया है। इस संदर्भ में HMS से सम्बद्ध कोयला श्रमिक सभा के अध्यक्ष एवं जेबीसीसीआई सदस्य शिवकुमार यादव ने पत्र सीआईएल प्रबंधन का पत्र लिखा है।

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  • एरियर में की गई कटौतियां और वेतन से की गई आयकर की कटौतियां स्पष्ट नहीं है।
  • समान बेसिक एवं समान नियुक्ति निधी वाले कामगारों को मिले एरियर की राशि में बहुत अंतर है। बहुत से वरिष्ठ कामगारों को कनिष्ठ कामगारों से कम एरियर भुगतान किया गया है।
  • स्पेशल ग्रेड से जनरल मजदूर कैटगरी-1 तक के कामगारों का एक साथ और एक जैसे 30 प्रतिशत आयकर काटा गया, जबकी आयकर कटौतियों के लिये आय के अनुरूप अलग- अलग आय की सीमाएं निर्धारित है।
  • भूमिगत भत्ता और विषेश भत्ता, पूर्वप्रभावी किया गया यानी 01.07.2021 से दिया गया, लेकिन मकान किराया भत्ता, यातायात भत्ता, रात्रि पाली भत्ता इत्यादी भावी रूप से लागू किया गया, लेकिन बिजली की कटौती जो मूल वेतन का 1 प्रतिशत काटा जाता था उसमें 1.7.2023 से बढ़े मूल वेतन से निर्मित बकाया काटा गया जो अन्यापूर्ण और गलत है।
  • सीएमपीएफ एवं सीएमपीएस की कटौतियां भी किसी की कम तो किसी की ज्यादा की गई है।
  • संदर्भित पत्र में संवैधानिक और कामगार से विशेष रूप से संबंधित कटौतियों की बात लिखी गई है जिसका अर्थ यही निकाला जा सकता है कि प्रबंधन वही पैसा काट सकता है जो कामगार का बकाया है। एलआईसी या सोसायटी या किसी और कटौतीयों को जबरदस्ती कामगारों के वेतन से काटना और वो भी बिना उनकी अनुमति से, यह गैर कानूनी है और कामगारों पर अन्याय है।
  • एरियर के भुगतान में ऐसी कई विसंगतियां हैं जिनकी वजह से कामगारों में हर्ष की बजाय रोष व्याप्त हो गया है।
  • प्रत्येक कामगार को एरियर कैल्कुलेशन की शीट जल्द से जल्द दी जाए, जिसमें कटौतियों की पूरी जानकरी हो।
  • हर शीट का ऑडिट दोबारा किया जाए ताकी विसंगतियां चिन्हित हो और वैधानिक रूप से काटा गया पूरा पैसा कामागारों में पुनः जमा हो।
  • बिजली के नाम पर की गई कटौती को तत्काल प्रभाव से कामगारों को वापस किया जाए।
  • संवैधानिक कटौतियां जैसे सीएमपीएफ, सीएमपीएस प्रबंधन हस्तक्षेप ना करें।
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