सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटाने पर फैसला सुनाते हुए कहा कि जम्मू- कश्मीर (Jammu Kashmir) का विशेष दर्जा (अनुच्छेद 370) खत्म करने का राष्ट्रपति का आदेश ‘वैध’ है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल, संजीव खन्ना, बीआर गवई और सूर्यकांत भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा। जस्टिस कौल और खन्ना ने अपने फैसले अलग-अलग लिखे। जस्टिस संजय किशन कौल ने अपने अलग फैसले में कश्मीरी पंडितों के पलायन और आतंकवाद का भी जिक्र किया। जस्टिस कौल ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, सेनाएं राज्य के दुश्मनों के साथ लड़ाई लड़ने के लिए होती हैं, न कि वास्तव में राज्य के भीतर कानून और व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, लेकिन तब ये अजीब समय था। जस्टिस खन्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल 370 असममित संघवाद का उदाहरण है। यह जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता का सूचक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितम्बर, 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए हैं।

मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 खत्म कर दिया था। साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी। बेंच के सामने लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर को खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के 96 दिन बाद केस पर फैसला सुनाया।

इधर, अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ”हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था क्योंकि हमें न्याय की उम्मीद थी…हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं…हमारी कोशिशें यहीं ख़त्म नहीं होंगी। हम फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे? हम कानूनी परामर्श के बाद इस पर फैसला करेंगे।

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