कोयला मंत्रालय के सचिव अमृतलाल मीणा (Coal Secretary Amritlal Meena) ने बताया कि साल 2030 तक कोयला प्रोडक्शन में भारत आत्मनिर्भर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आगे चलकर सिर्फ हाई ग्रेड कोकिंग कोल इंपोर्ट की ही जरूरत होगी।
अमृतलाल मीणा ने जानकारी दी कि 2023-24 में 1012 मिलियन टन कोयला प्रोडक्शन का लक्ष्य है। पिछले साल कुल 893 मिलियन टन कोयला का उत्पादन हुआ था। कोल इंडिया में कोयले का उत्पादन पिछले 9 महीने में 11 फीसदी ज्यादा है। साल 2030 तक करीब 1.5 बिलियन टन कोयले की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि हमारे देश में जिस ग्रेड का कोयला मौजूद है, उस मामले हम 2030 तक आत्मनिर्भर हो जाएंगे। मौजूदा समय में कैप्टिव ओर कमर्शियल माइंस से करीब 14 फीसदी प्रोडक्शन होता है। जबकि साल 2030 तक कुल कोयले का 20 फीसदी उत्पादन कैप्टिव ओर कमर्शियल कोल माइंस से होगा। 2030 तक सरकारी कंपनियों कुल कोयले का 80 फीसदी तक प्रोडक्शन कर सकेंगी।
सोलर और हाइड्रो पावर
कोयला मंत्रालय के सचिव अमृतलाल मीणा ने जानकारी दी कि अब कोल इंडिया सोलर और हाइड्रो पावर भी बनाएगी। कोल सचिव ने कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी के लिए कोल इंडिया में अलग से डिपार्टमेंट बना है। अगले तीन साल में नेट जीरो एमिशन का टारगेट रखा गया है।
रिन्यूएबल एनर्जी
डीकोल्ड लैंड इस्तेमाल के लिए सरकार ने 2022 में पॉलिसी बनाई थी। कोयला निकालने के बाद खाली जमीन पर बिजली बनेगी। ऊंची जमीन पर सोलर प्लांट लगाने की योजना है। पानी वाली जमीन पर पंप स्टोरेज के जरिए हाइड्रो प्लांट की योजना है। हाइड्रो प्लांट के लिए पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिए 20 साइट की पहचान की गई है। निवेली लिग्नाइट के पास 1600 मेगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन क्षमता है। कोल इंडिया भी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ रही है। कोल सेक्टर की सरकारी कंपनी को 5000 मेगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता बनानी है।
source : CNBC Awaaz