कोरबा, 09 फरवरी। 23 वर्षों बाद एल्यूमिनियम पार्क (Aluminium Park) फिर चर्चा में आया है। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट में एल्यूमिनियम पार्क के लिए पांच करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
यहां बताना होगा कि 2001 में कोरबा जिले में एल्यूमिनियम पार्क विकसित करने का कॉन्सेप्ट छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने लाया था। 2003 में डा. रमन सिंह के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनने के बाद भी एल्यूमिनियम पार्क की योजना को बरकरार रखा गया।
रमन सरकार और भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (Balco) के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस MoU के तहत बालको द्वारा लुघ उद्योगों को कच्चे एल्यूमिनियम की खरीदी पर रियायत दी जानी थी और राज्य शासन द्वारा एल्यूमिनियम से संबंधित उत्पाद तैयार करने की लागत में सब्सिडी।
एल्यूमिनियम पार्क के लिए 140 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता बताई गई, जहां एल्यूमिनियम से संबंधित उत्पाद तैयार करने वाले लघु उद्योग लगाए जाते। 2005 में कलेक्टर गौरव द्विवेदी ने पाली ब्लॉक के ग्राम नुनेरा में एल्यूमिनियम पार्क के लिए जमीन का चिन्हांकन किया था, लेकिन बड़े झाड़ के कारण इसका अधिग्रहण नहीं हो सका।
कलेक्टर रीना बाबा कंगाले के कार्यकाल में बालको के समीप ग्राम रोकबहरी में जमीन की तलाश की गई। ग्राम सभा का आयोजन भी कराया गया, किंत मामला आगे नहीं बढ़ सका। रिसदी में देबू की जमीन भी देखी गई और कलेक्टर ने शासन को इसका प्रस्ताव भेजा। देबू ने कोर्ट की शरण ले ली।
बाद में एल्यूमिनियम पार्क का मामला जमीन को लेकर उलझ गया और फिर पूरी योजना ठंडे बस्ते में चली गई। भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल में एल्यूमिनियम पार्क प्रोजेक्ट के लिए प्रयास जरूर हुए, लेकिन इसे जमीन पर नहीं उतारा नहीं जा सका। कांग्रेस के भूपेश सरकार ने तो इस पर कोई काम नहीं किया।
बहरहाल 23 सालों बाद फिर से एल्यूमिनियम पार्क विकसित करने का प्रस्ताव विष्णु सरकार द्वारा लाया गया है। इसके लिए पांच करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है। यदि एल्यूमिनियम पार्क अस्तित्व में आता है तो निश्चित तौर पर इससे लघु उद्योगों में जान आएगी, रोजगार सृजित होंगे और जिले को आर्थिक लाभ मिलेगा।