रायपुर, 29 जुलाई। अब गर्मी से भी बिजली तैयार की जाएगी। यह कार्य जियोथर्मल पावर प्लांट (Geothermal Power Plant) के माध्यम से होगा। लद्दाख में इसकी शुरुआत हो रही है। छत्तीसगढ़ के तातापानी (Tatapani) में जियोथर्मल पावर प्लांट लगाने की योजना है। पब्लिक सेक्टर की कंपनी ओएनजीसी इस पर काम कर रही है।
दरअसल, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने देश में लगभग 340 जियोथर्मल गर्म झरनों की पहचान की है। इनमें सबसे पहला स्पॉट लद्दाख की पूगा वैली में है। इसके 5 वर्ग किमी क्षेत्र में जियोथर्मल (भू-तापीय) का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। ड्रिल करने का काम 30 जुलाई से शुरू किया जा रहा है। इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर छत्तीसगढ़ के तातापानी के अलावा महाराष्ट्र के जलगांव, उत्तराखंड में तपोवन, हिमाचल बने में मणिकरण में जमीन के भीतर मौजूद हो गर्म झरनों से बिजली बनाने का काम शुरू होगा। आइसलैंड में 70 फीसदी बिजली लब जियोथर्मल स्रोतों से बनती है। इसलिए भारत इस काम में धरू आइसलैंड की मदद ले रहा है।
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जियोथर्मल से पर्यावरण को नहीं पहुंचता है नुकसान
जियोथर्मल प्लांट से जो एनर्जी निकलेगी, वो पूरी तरह क्लीन होगी। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा जमीन में मौजूद ऊष्मा धरती के निर्माण और खनिजों के रेडियोएक्टिव डिकंपोजिशन से पैदा होती है। धरती पर जो जगह जियोथर्मल वाली है, वहां यह ऊष्मा गर्म पानी या भाप बनाती है। इस भाप से टरबाइन को चलाया जाता है, जिसमें बिजली बनती है। जियोथर्मल ऊर्जा जीवाश्म इंधन की तुलना में न्यूनतम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पैदा करती है, क्योंकि धरती के भीतर की गर्मी प्राकृतिक प्रक्रियाओं का नतीजा है।
दुनिया में 15 गीगावाट बिजली जियोथर्मल से
अंतरराष्ट्रीय रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) के अनुसार, 2022 के अंत तक दुनिया में कुल स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी जनरेशन कैपेसिटी का 0.4 फीसदी हिस्सा जियोथर्मल विजली का है। इसकी कुल स्थापित क्षमता लगभग 14.9 गीगावाट (GW) है। इस एनर्जी की सबसे बड़ी क्षमता वाले देशों में इंडोनेशिया, इटली, केन्या, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, तुर्किये, आइसलैंड और अमेरिका शामिल हैं। 2022 में दुनियाभर में केवल 181 मेगावाट नई जियोथर्मल एनर्जी क्षमता चालू की गई थी। इसके मुकाबले उसी साल 191 गीगावॉट सोलर पीवी क्षमता जोड़ी गई।
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तातापानी एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है
तातापानी अम्बिकापुर-रामानुजगंज मार्ग पर बलरामपुर जिले से लगभग 12 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। इस स्थान में आठ से दस प्राकृतिक गर्म जल के कुण्ड है। यहां के कुण्डों व झरनों में धरातल से बारह माह गरम पानी प्रवाह करता रहता है। स्थानीय लोग यहां की धरती पवित्र मानते हैं एवं कहा जाता है कि यहां गरम पानी से स्नान करने से सभी चरम रोग खत्म हो जाते हैं। इस अद्भुत दृश्य को देखने एवं गरम पानी का मजा लेने प्रदेशभर से लोग यहां आते हैं। यहां एक विशाल शिव जी की प्रतिमा है जिसे जिला प्रशासन द्वारा बनवाया गया है। स्थानीय भाषा में ताता का अर्थ होता है “गर्म” इसलिए इस जगह का नाम तातापानी पड़ गया। यहां पिछले 50 से अधिक सालों से हर वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में सल्फर कि मात्रा अधिक है इसी वजह से यहां से निकलने वाला पानी गर्म होता है। राज्य सरकार ने इसी साल तातापानी को पर्यटन स्थल घोषित किया है।
इनपुट : भास्कर