इस संबंध में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सरकार के आदेश के बाद ऐसा किया गया है. वहीं राज्य सरकार ने इस बारे में जानकारी होने से इनकार किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में राज्य के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने से पूछने पर उन्होंने इसकी जानकारी होने से इनकार किया है.
वहीं अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक डॉ. गुणवंत एच राठौड़ का कहना है कि राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, हिंदू मरीजों और मुस्लिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं.
डॉ. राठौड़ का कहना है, ‘आमतौर पर पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं लेकिन यहां हमने हिंदुओं और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग वॉर्ड बनाए हैं.’
धर्म के आधार पर वार्ड अलग करने का कारण पूछने पर राठौड़ ने कहा कि यह सरकार का फैसला है और आप उनसे पूछ सकते हैं.
अस्पताल में भर्ती होने के प्रोटोकॉल के अनुसार, कोरोना के संदिग्ध को टेस्ट नतीजे आने तक कोरोना मरीजों से अलग वॉर्ड में रखा जाता है. अस्पताल में भर्ती कोरोना के 186 संदिग्धों में से 150 में वायरस की पुष्टि हुई है.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती इन 150 संक्रमित लोगों में से 40 मुस्लिम हैं.
राज्य के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया, ‘मैं धर्म के आधार पर वॉर्ड अलग करने के इस तरह के किसी फैसले से वाकिफ नहीं हूं. आमतौर पर महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग वॉर्ड होते हैं. मैं इसकी पड़ताल करूंगा.’
अहमदाबाद के कलेक्टर केके निराला ने भी इस मामले की जानकारी होने से इनकार किया है.
निराला ने कहा, ‘हमारी तरफ से ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं और हम इस तरह के किसी सरकारी फैसले से वाकिफ नहीं हैं.’
अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने बताया, ‘अस्पताल के पहले वॉर्ड (ए-4) में भर्ती 28 पुरुषों को रविवार रात दूसरे वॉर्ड सी-4 में शिफ्ट किया गया. हमें यह नहीं बताया गया कि हमें क्यों शिफ्ट किया जा रहा है, जिन भी लोगों को शिफ्ट किया गया है, वे सभी एक ही समुदाय के हैं.’
उन्होंने आगे बताया, ‘हमने आज हमारे वॉर्ड के एक स्टाफ सदस्य से इस बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि दोनों समुदायों के बीच सौहार्द बनाए रखने के लिए ऐसा किया गया है.’
source : thewire