नई दिल्ली, 08 अगस्त। गुरुवार को भारतीय खनन, भूवैज्ञानिक एवं धातुकर्म संस्थान द्वारा आयोजित “खनिज क्षेत्र में चुनौतियां एवं अवसर” (Challenges & Opportunities in the Mineral Sector) विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी एवं कोयला राज्यमंत्री सतीश चन्द्र दुबे ने किया।

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यह राष्ट्रीय संगोष्ठी कोयला खनन, गैर-कोयला खनन और महत्वपूर्ण खनिजों में चुनौतियों और अवसरों पर केंद्रित है।

कोयला मंत्री श्री रेड्डी (Coal Minister G Kishan Reddy) ने अपने संबोधन कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना के अनुसार, कोयला और खनन क्षेत्र में आयात कम करने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के महत्व पर जोर दिया जा रहा है। पिछले दस वर्षों में, हमने सतत विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए खनिज क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि देखी है।

कोयला मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन की हाल ही में बजट घोषणा और अपतटीय खनन ब्लॉकों की शुरुआत महत्वपूर्ण खनिजों को सुरक्षित करने की दिशा में हमारे प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देगी। ये पहल न केवल हमारी घरेलू क्षमताओं को मजबूत करेंगी बल्कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के हमारे दीर्घकालिक लक्ष्य में भी योगदान देंगी।

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जी. किशन रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि खनिज क्षेत्र राष्ट्र के तालमेल का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तंभ है जो एक विकसित भारत के निर्माण की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि कोयला देश की 55 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता है और औद्योगिक विकास की नींव है। उन्होंने भारत की दूसरे सबसे बड़े कोयला उत्पादक और उपभोक्ता के रूप में स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है और कहा कि घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। नई वाशरियों की स्थापना उच्च गुणवत्ता वाले कोयले को सुनिश्चित करती है।

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