By…. रेहाना तबस्सुम
कोरोना वायरस के कहर और लॉकडाउन के बीच हम सब अपने घरों में कैद है। इस दौरान क्या आपने कभी इस बात को महसूस किया है कि वो क्या है जो हमें लॉकडाउन में भी राहत पहुंचा रहा है और हमें बाहरी दुनिया से जोड़े हुए है। मोबाइल, टीवी और रेडियो के जरिए न केवल हमें बाहरी दुनिया में चल रही तमाम खबरें मिल रही हैं बल्कि ये वक्त काटने का एक बड़ा सहारा भी है। यह संभव है बिजली की निर्बाध आपूर्ति से वरना ये किसी काम के नहीं। संसाधनों की सहज उपलब्धता ने हमें इसके महत्व को समझने से कोसों दूर कर दिया है। हम इस बात से अनजान है कि किस तरह आपातकाल के इस दौर में जब हम सभी अपने घरों में मोबाइल का इस्तेमाल और टीवी का आनंद लेते बैठे है। सारी दुनिया जब वर्क फ्रॉम होम के कॉन्सेप्ट पर काम कर रही है, ऐसे समय में भी बिजली कर्मचारी खतरों के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर बिजली उत्पादन और इसका वितरण बगैर किसी बाधा के हो, इस काम में जुटे हुए हैं।
लॉकडाउन के बीच इस समय मैं ऊर्जा नगरी कोरबा के अपने घर में हूं और मैंने देखा कि किस तरह विद्युत कंपनी में कार्यरत मेरे पापा अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए नियत समय पर कार्यालय पहुंचते है और उन जैसे हजारों बिजली कर्मचारी तथा अधिकारी अपने कार्यों को पूरा कर रहे हैं ताकि बिजली के उत्पादन व वितरण में किसी प्राकर की रूकावट न आ सके। वे यह काम वो घर बैठ कर नहीं कर सकते, इसके लिए रिस्क लेकर उन्हें संयंत्र और कार्यालय जाना होगा। बिजली के बिना क्या किसी अस्पताल में कोई इलाज संभव है? बिजली के बिना कैसे हम मीडिया के जरिए देश दुनिया से जुड़ पाएंगे? कैसे हम अपना मोबाइल इस्तेमाल कर अपनों से जुड़ पाएंगे? कैसे हम दूरदर्शन पर रामायण, महाभारत और अपने मनपसंद सीरियल, फिल्में देख पाएंगे?
इस समय जब सारा देश कर्मवीरों का सम्मान कर रहा है। ऐसे में हमें बिजली कामगारों के योगदान को भी याद करना होगा। लॉकडाउन के इस कठिन समय में बिजली की सहज उपलब्धता ने हमारे जीवन को आसान बनाया है। वरना कल्पना कीजिए कि यदि बिजली कर्मचारी भी कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों को देखते हुए घर बैठ जाएं तो हमारी जिंदगी कितनी दुश्वार हो जाएगी। बिजली की सहज उपलब्धता के कारण हम यह बात भुला बैठे हैं कि इस अमूल्य संसाधन के पीछे हजारों कामगारों की अथक मेहनत है, जिसका महत्व हमें समझना होगा। बिजली की बर्बादी भी रोकनी होगी क्योंकि बिजली की बचत ही इसका उत्पादन है। हमारी छोटी सी बिजली बचत की पहल बड़े स्तर पर ऊर्जा के इस अमूल्य संसाधन की फिजूल बर्बादी को रोक सकती है….
(लेखिका के ये स्वंतत्र विचार हैं। लेखिका दूरदर्शन, रायपुर में समाचार वाचिका एवं आकाशवाणी, बिलासुपर में उद्घोषक हैं)