नई दिल्ली, 19 अगस्त। रविवार को केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) के सीएमडी के सचिव सहित सुरक्षा अधिकारी और सप्लायर के ठिकानों पर रेड (Raid) की। इस रेड में सीबीआई ने करीब चार करोड़ रुपए की नगदी बरामद करते हुए कार्रवाई की। इधर, कोल इंडिया (CIL) के विजिलेंस विभाग (Vigilance  Department) पर सवाल उठने लगे हैं।

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कोल इंडिया और अनुषांगिक कंपनियों में सतर्कता विभाग काम करता है। सीआईएल एवं अनुषांगिक कंपनियों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (CVO) की नियुक्ति है। इनके अधीन पूरा अमला तैनात है। 16 अगस्त से सतर्कता जागरूकता अभियान (vigilance awareness campaign) भी चलाया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार और तमाम अनियमितता के मामले में विजिलेंस विभाग क्या कार्रवाई करता है। भारी- भरकम विजिलेंस विभाग के रहते सीबीआई तक मामले में पहुंच रहे हैं और कार्रवाई हो रही है तो सवाल उठना स्वाभाविक है। सीबीआई ने इस साल एनसीएल सहित चार रेड की है।

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जानें एनसीएल से पहले कहां- कहां सीबीआई ने कार्रवाई की :

  • अप्रेल 2024 : सीसीएल (CCL) के आम्रपाली प्रोजेक्ट के डिप्पैच अधिकारी सहित दो के खिलाफ 50 हजार रुपए की रिश्वत के मामले में कार्रवाई की गई।
  • मई 2024 : ईसीएल (ECL) के राजमहल परियोजना के मुख्य प्रबंधक, उप प्रबंधक सहित तीन के खिलाफ 75 हजार रुपए रिश्वत के मामले में कार्रवाई की गई।
  • मई 2024 : ईसीएल (ECL) मुग्मा एरिया, धनबाद के उप महाप्रबंधक के खिलाफ घूसखोरी मामले में कार्रवाई की गई।

इसके पहले भी सीबीआई ने कई मामलों में कार्रवाई की है। बताया गया है कि सीआईएल और अनुषांगिक कंपनियों के सतर्कता विभाग तक कई शिकायतें पहुंचती हैं। इनमें ज्यादातर शिकायतों पर संज्ञान नहीं लिया जाता है। ठोस कार्रवाई करने से बचने का प्रयास किया जाता है। इसका उदाहरण ईसीएल की राजमहल परियोजना में आया था। अधिकारियों, सर्वेयर ने 12 लाख रुपए के एक मुआवजा प्रकरण में छह लाख रुपए रिश्वत मांगी थी। बतौर एडवांस 75 हजार रुपए ले लिए गए थे। इसकी शिकायत विजिलेंस विभाग से की गई थी। कार्रवाई नहीं होने पर सीबीआई से शिकायत की गई।

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ऐसा लगता है कि सीआईएल और अनुषांगिक कंपनियों का सतर्कता विभाग का काम केवल जागरूकता अभियान चलाने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इसे अपलोड करने तक रह गया है।

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