नई दिल्ली, 05 अक्टूबर। पश्चिम बंगाल सरकार के विद्युत संयंत्र अब कोल इंडिया लिमिटेड से कोयले की खरीदी नहीं करेंगे। वेस्ट बंगाल पॉवर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (WBPDCL) ने कहा है कि कोयले के उत्पादन और आपूर्ति में आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली गई है।
कंपनी के डायरेक्टर (माइनिंग) चंचल गोस्वामी ने पीटीआई को बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड पर कंपनी की निर्भरता समाप्त हो गई है। उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष कंपनी ने 18.41 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया था। जबकि चालू वित्त वर्ष में 20 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। WBPDCL के निदेशक (खनन) चंचल गोस्वामी ने कहा, “इस वित्त वर्ष से कोयले की आपूर्ति के लिए हमारी कोल इंडिया पर निर्भरता शून्य हो गई है।
यहां बताना होगा कि WBPDCL का तीन-चौथाई कोयला उत्पादन झारखंड के पचवारा उत्तर खदान से होता है। इस खदान की क्षमता 15 मिलियन टन सालाना है। WBPDCL की पश्चिम बंगाल में स्थित कोयला बरजोरा की उत्पादन क्षमता 0.5 मिलियन टन, बरजोरा नार्थ की क्षमता 3 मिलियन टन, गंगारामचक एवं गंगारामचक भदुलिया खदान की क्षमता एक मिलियन टन है। तारा ईस्ट और वेस्ट कोल माइन की क्षमता 4 मिलियन टन है। इन खदानों का संचालन माइन डेवलपर और ऑपरेटर (एमडीओ) के माध्यम से होता है।
4745 मेगावाट क्षमता वाले 5 संयंत्र
WBPDCL के राज्य में पांच थर्मल विद्युत संयंत्र है, जिनकी उत्पादन क्षमता 4745 मेगावाट (MW) है। बंदेल थर्मल पॉवर स्टेशन 335 MW, बकरेश्वर टीपीपी 1050 MW, कोलाघाट टीपीपीएस 1260 MW, सागरदिघी टीपीपी 1600 MW तथा संतालडीह टीपीएस की क्षमता 500 मेगावाट है। सागरदिघी टीपीपी का तीसरे चरण का विस्तार हो रहा है। विस्तार परियोजना के तहत 660 मेगावाट क्षमता वाली 5 नम्बर यूनिट तैयार हो रही है।