नई दिल्ली, 26 अक्टूबर। कोयला सेक्टर के ठेका श्रमिकों के लिए बोनस भुगतान का आदेश जारी होते ही श्रमिक नेता श्रेय लेने में लग गए हैं। इस कार्य में बीएमएस (BMS) से सम्बद्ध अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ आगे है।
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अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (ABKMS) के महामंत्री सुधीर घुरडे ने बकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसे बीएमएस के आंदोलन का असर बताया है। घुरडे ने कहा है कि संगठन ने कोल उद्योग के अंतर्गत कार्य करने वाले सभी कामगारां को बोनस दिए जाने की मांग रखी थी। प्रबंधक ने कोयला उत्पादन में कार्यरत ठेका मजदूरों को बोनस दिए जाने की स्वीकृति प्रदान की। बीएमएस द्वारा 2 वर्षों से लगातार आंदोलन करने से यह सफलता मिली है। ठेका मजदूरों में काफी हर्षौउल्हास का माहौल है। सुधीर घुरडे ने कहा कि कोल उद्योग के अंतर्गत दूसरे सभी ठेका कामगारो को भी बोनस दिलाने के लिए भविष्य में संगठन द्वारा आंदोलन किया जाएगा और उनको भी बोनस दिलाने के लिए बीएमएस प्रयासरत रहेगा।
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अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के महामंत्री सुधीर घुरडे शायद यह भूल गए हैं कि 29 सितम्बर को नई दिल्ली में आयोजित हुई मानकीकरण समिति की बैठक में समेकित प्रयास से ठेका श्रमिकों का बोनस फाइनल हुआ है। इस बैठक में बीएमएस के अलावा एचएमएस, सीटू, एटक के नेता भी सम्मिलित थे। सभी ने एक राय होकर नियमित कामगारों के साथ ही ठेका श्रमिकों को बोनस प्रदान करने प्रबंधन पर दबाव बनाया था। बीएमएस एवं अन्य यूनियन भी समय- समय पर ठेका श्रमिकों के मुद्दों को उठाते हैं और उनकी लड़ाई लड़ते हैं। जबकि बोनस के मुद्दे पर चारों प्रमुख यूनियन के नेता आपस में चर्चा करते हैं और प्रबंधन के समक्ष मुखर होते हैं।
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मानकीकरण समिति में बोनस तय होने के बाद इस आशय का आदेश जारी करने में हो रही देरी को लेकर सभी यूनियन द्वारा प्रदर्शन इत्यादि के जरिए प्रबंधन पर दबाव बनाया जा रहा था। बोनस के मुद्दे की सफलता पर किसी एक यूनियन का श्रेय नहीं दिया जा सकता है। बहरहाल बीएमएस नेता ठेका श्रमिकों को परफॉरमेंस लिंक्ड इंसेंटिव यानी बोनस भुगतान का आदेश जारी होते ही इसका श्रेय लेने में जुटे हुए हैं।