नई दिल्ली, 28 नवम्बर। गुरुवार को कोयला मंत्रालय के सचिव विक्रम देव दत्त की अध्यक्षता में आज कोयला खान भविष्य निधि संगठन (CMPFO) के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (BOT) की 182वीं बैठक आयोजित की गई।

बैठक में कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव सुश्री रूपिंदर बराड़, कोयला मंत्रालय की संयुक्त सचिव एवं वित्तीय सलाहकार सुश्री निरुपमा कोटरू, कोयला मंत्रालय की उप महानिदेशक सुश्री संतोष, सीएमडी साथ ही विभिन्न श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।

चेयरमैन ने रचनात्मक चर्चा की सराहना की और सीएमपीएफओ के संसाधनों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए कोयला श्रमिकों के कल्याण में सुधार के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। बैठक का प्राथमिक एजेंडा सीएमपीएफओ की वार्षिक लेखापरीक्षित लेखा रिपोर्ट को अपनाने पर केंद्रित था।

कोयला खदान श्रमिकों के लिए समय पर संवितरण, सुदृढ़ शासन और दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। नए भर्ती नियमों के तहत भर्ती प्रयासों पर भी अपडेट प्रदान किए गए, जिसका उद्देश्य प्रतिनियुक्ति और सीधी भर्ती के माध्यम से रिक्त पदों को भरना है। वर्तमान में, सीएमपीएफओ 934 की स्वीकृत शक्ति के मुकाबले 559 कर्मचारियों के कार्यबल के साथ काम करता है, साथ ही संगठन की परिचालन क्षमता को मजबूत करने के लिए पदोन्नति भी लागू की जा रही है।

जुलाई 2023 से ई-ऑफिस के कार्यान्वयन और फरवरी 2024 से पीएफ और पेंशन के ऑनलाइन निपटान सहित डिजिटल परिवर्तन पहलों की समीक्षा की गई। बोर्ड को सीएमपीएफ अधिनियम में चल रहे संशोधन के बारे में भी बताया गया, जिसका पहला मसौदा जल्द ही आने की उम्मीद है। मसौदा तैयार होने के बाद यूनियन प्रतिनिधियों और अन्य हितधारकों को प्रतिक्रिया देने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

शिकायत निवारण में सुधार के प्रयासों को भी स्वीकार किया गया, जिसमें औसत निपटान समय 2022 में 27 दिनों से घटकर 2024 में 22 दिन हो गया, साथ ही लंबित पीएफ मामलों में उल्लेखनीय कमी आई।

कोयला मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय सीएमपीएफओ कोयला खदान श्रमिकों के लिए भविष्य निधि और पेंशन के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

बोर्ड ने वित्तीय पारदर्शिता बढ़ाने, श्रमिक कल्याण को समर्थन देने तथा सीएमपीएफओ के परिचालन की समग्र दक्षता में सुधार लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।

यूनियन प्रतिनिधियों ने इन बातों को बैठक में रखा

बैठक में यूनियन प्रतिनिधियों ने न्यूनतम एक हजार पेंशन पूर्णतः लागू न होने का मुद्दा उठाया। रिवाइज्ड पीपीओ जारी होने के बाद भी होने वाली परेशानियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया।

राकेश कुमार ने कहा कि किसी पेंशनधारी की मौत के बाद उसके पत्नी को दिक्कत नहीं हो इसके लिए रिवाइज्ड पीपीओ जारी किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद बैंकों द्वारा परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक सेन्टरलाइज्ड पत्र सीएमपीएफओ या बैंक जारी करे जिससे किसी को कोई परेशानी न हो एवं रिवाइज्ड पीपीओ जारी करने का उदेश्य पूरा हो सके।

बैठक में फंड मैनेजर्स के चयन पर भी चर्चा हुई। यूनियन नेताओं ने सीएमपीएफओ कर्मचारियों के बच्चों को पढ़ाई का खर्च दिए जाने मुद्दा उठाया।

कोल इंडिया में कार्यरत नॉन माइनिंग ठेका मजदूरों को सीएमपीएफओ से जोड़ने की बात कही गई। यूनियन नेताओं ने ठेका मजदूरों के पीएफ सेटलमेंट का मुद्दा भी उठाया।

  • Website Designing