भारत ने विदेशी निवेश (FDI) की अपनी यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए अप्रैल 2000 से अब तक 1 ट्रिलियन डाॅलर का एफडीआई इनफ्लो प्राप्त किया है।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश को 42.1 बिलियन डाॅलर का विदेशी निवेश मिला जो पिछले साल की तुलना में 26 प्रतिशत अधिक है। यह उपलब्धि भारत की बढ़ती वैश्विक साख और निवेशकों के लिए उसकी बेहतर स्थिति को दिखाती है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की “मेक इन इंडिया” जैसी पहलों और नीतिगत सुधारों ने इस सफलता में अहम भूमिका निभाई है। सरकार ने कई क्षेत्रों में 100% एफडीआई की अनुमति दी है और कर कानूनों को सरल बनाया है। कारोबार को सुगम बनाने के लिए उठाए गए कदमों के तहत भारत ने “डूइंग बिजनेस रिपोर्ट” में अपनी रैंकिंग 2014 में 142वें स्थान से 2020 में 63वें स्थान तक सुधार कर लिया है।
भारत ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर
भारत में ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स और अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त सौदों के मामले में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। “ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2023” के मुताबिक भारत ग्रीनफील्ड परियोजनाओं के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है।
गौरतलब है कि ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट, ऐसी परियोजनाओं को कहते हैं जिनमें किसी पूर्व कार्य या परियोजना का अनुसरण नहीं किया जाता बल्कि इसमें किसी नए उत्पाद या सेवा का विकास किया जाता है। वहीं भारत को “ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2023” में 48वां स्थान प्राप्त हुआ जो 2015 के 81वें स्थान से एक बड़ी छलांग है।
बीते दशक में भारत को 709.84 बिलियन डाॅलर का एफडीआई प्राप्त हुआ, जो पिछले 24 वर्षों के कुल निवेश का 69% है। यह दिखाता है कि भारत वैश्विक निवेश डेस्टिनेशन के रूप में तेजी से उभर रहा है। भारत में डिजिटल और तकनीकी क्षेत्र में तेजी से विस्तार ने भी निवेशकों का ध्यान खींचा है। 5जी नेटवर्क के तेजी से विस्तार और प्रतिस्पर्धी श्रम लागत ने भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य स्थान बना दिया है।
1 ट्रिलियन डाॅलर एफडीआई इनफ्लो भारत की आर्थिक स्थिरता और निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक मजबूत स्थिति में लाने और देश के विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगी।