कोलकाता, 15 दिसम्बर। भारत के सीएसआर कानून और कोल इंडिया के सीएसआर के संस्थागत स्वरूप लेने के एक दशक का जश्न मनाते हुए, तीसरा सीआईएल सीएसआर कॉन्क्लेव (CIL CSR Conclave) आज कोलकाता में शुरू हुआ।
कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सी वी आनंद बोस ने कोल इंडिया लिमिटेड की सीएसआर पहलों की सराहना की। सीआईएल की सामाजिक प्रतिबद्धता का जिक्र करते हुए, श्री बोस ने कहा कि “हम एक परिवर्तनकारी युग में जी रहे हैं और हमें सीमाओं से परे देखना होगा जो संबंधों को बनाने के लिए आवश्यक है“।
अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत, सीआईएल ने सीएसआर को संस्थागत स्वरूप देने के बाद से एक दशक में 5,579 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो वैधानिक आवश्यकता से 31 प्रतिशत अधिक है। सीआईएल सीएसआर खर्च के मामले में देश की शीर्ष तीन कंपनियों में से एक है।
वित्तीय वर्ष 2015 से शुरू होकर, वैधानिक रूप से अनिवार्य सीएसआर के पहले वर्ष से, वित्तीय वर्ष 2024 तक 10 वर्षों की अवधि में, सीआईएल को 4,265 करोड़ रुपये खर्च करने का आदेश दिया गया था, लेकिन कंपनी का इस मद में खर्च इससे 1,314 करोड़ रुपये अधिक था । इस अवधि के दौरान वार्षिक औसत सीएसआर खर्च 558 करोड़ रुपये था।
सचिव, कोयला मंत्रालय और विशिष्ट अतिथि श्री विक्रम देव दत्त ने कहा कि सीएसआर सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों के लिए विश्वास का एक अभिलेख है और जनवरी से शुरू होकर हर महीने थीम-आधारित सीएसआर होगा। इस अवसर पर बोलते हुए, श्री पी एम प्रसाद, अध्यक्ष सीआईएल ने कहा कि सीआईएल सीएसआर गतिविधियों के लिए प्रतिबद्ध है और पिछले दशक के दौरान अखिल भारतीय स्तर पर स्वास्थ्य और शिक्षा को केंद्र में रखते हुए 5,570 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आजीविका पर सीआईएल का विशेष ध्यान इस तथ्य से नजर आता है कि दशक के कुल सीएसआर खर्च 5,579 करोड़ रुपये में से इन तीन आवश्यक चीजों का हिस्सा 71þ यानी 3,978 करोड़ रुपये था। स्वास्थ्य देखरेख 2,770 करोड़ रुपये के साथ सबसे ऊपर रहा, जो कुल परिव्यय का लगभग 50þ है। शिक्षा और आजीविका में 1,208 करोड़ रुपये, कुल खर्च का पांचवां हिस्सा से अधिक शामिल थे। शेष राशि ग्रामीण विकास, और अन्य विषयों जैसे पर्यावरण स्थिरता, खेलों को बढ़ावा देने, आपदा प्रबंधन आदि पर खर्च की गई।
सीएसआर निधि का 95 प्रतिशत ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीआईएल के परिचालन वाले आठ राज्यों में उपयोग किया गया था।
धनराशि आवंटन के संबंध में, ’कंपनी अधिनियम 2013’ के अनुसार, सीआईएल और उसकी सहायक कंपनियों का सीएसआर बजट तीन तत्काल पूर्ववर्ती वित्तीय वर्षों के औसत शुद्ध लाभ (कर से पहले लाभ, लाभांश घटाकर) का 2þ या पिछले वित्तीय वर्ष में उत्पादित कोयले के 2 रुपये प्रति टन, जो भी अधिक हो, पर निर्धारित किया गया है।
नीति के अनुसार, सीआईएल की सहायक कंपनियां अपनी सीएसआर निधि का 80þ अपने कमांड वाले क्षेत्रों के 25 किलोमीटर के दायरे में और शेष 20þ उस राज्य में खर्च कर सकती हैं जहां वे काम करती हैं। शीर्ष निकाय सीआईएल को ऐसी भौगोलिक सीमाओं में रोका नहीं गया है, जिससे इसे अखिल भारतीय स्तर पर सीएसआर परियोजनाओं को शुरू करने की अधिक छूट मिलती है।
कार्यक्रम में बोलते हुए, सीआईएल के निदेशक (कार्मिक) श्री विनय रंजन ने कहा कि सीआईएल सीएसआर पर सूक्ष्मतम फोकस के लिए 2014 में सामुदायिक विकास कैडर शुरू करने वाला भारत का पहला सीपीएसई है।