वेदांता समूह (Vedanta Group) ने मंगलवार को कहा कि कंपनी की 1 लाख करोड़ रुपए की एल्यूमीनियम रिफाइनरी और स्मेल्टर परियोजना ओडिशा के रायगड़ा जिले में स्थापित की जाएगी। कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि परियोजना का पहला चरण अगले तीन वर्षों में चालू होने की उम्मीद है, जिसे बाद में विस्तारित किया जाएगा।

पिछले साल अक्टूबर में वेदांता ने घोषणा की थी कि वह ओडिशा में 6 एमटीपीए एल्युमिना रिफाइनरी और 3 एमटीपीए ग्रीन एल्यूमीनियम प्लांट बनाने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। हालांकि, उस समय यह नहीं बताया गया था कि इसे कहां स्थापित किया जाएगा।

राज्य के व्यापार सम्मेलन, उत्कर्ष ओडिशा-मेक इन ओडिशा के अवसर पर बोलते हुए अग्रवाल ने कहा, “हम रायगड़ा जिले में 6 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) क्षमता की एल्यूमीनियम रिफाइनरी और 30 लाख टन क्षमता का एल्यूमीनियम स्मेल्टर स्थापित करेंगे। कुल निवेश लगभग 1 लाख करोड़ रुपये होगा।“

उन्होंने कहा कि समूह को रायगड़ा जिले में सिजिमाली बॉक्साइट खदान मिली है, जिसे अब विकसित किया जा रहा है।

अग्रवाल ने अक्टूबर में यहां मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ अपनी बैठक के दौरान एक लाख करोड़ रुपये के निवेश से राज्य में एक एल्युमीना रिफाइनरी और एक एल्यूमीनियम संयंत्र स्थापित करने का वादा किया था।

अग्रवाल ने कहा कि वेदांता समूह ने पहले ही ओडिशा में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का महत्वपूर्ण निवेश किया है। कंपनी झारसुगुड़ा में 18 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता वाले स्मेल्टर संयंत्र और लांजीगढ़ में 35 लाख टन सालाना क्षमता वाली एल्युमीना रिफाइनरी का संचालन कर रही है।

दुनिया का सबसे बड़ा एल्यूमीनियम स्मेल्टर बनाने का सपना हो रहा पूरा

वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि ओडिशा सही मायने में एक ’सनराइज स्टेट’ है, जहां हेरिटेज और विकास का एक परफेक्ट ब्लेंड है।

ओडिशा में भारत का सबसे बड़ा बॉक्साइट और क्रोमाइट भंडार है और यह एल्यूमीनियम के हब के रूप में उभर रहा है।

मुझे आज भी याद है कि 90 के दशक में मैं अपने प्रोजेक्ट हेड के साथ झारसुगुड़ा में रेलवे ट्रैक पर बैठकर दुनिया का सबसे बड़ा एल्यूमीनियम स्मेल्टर बनाने का सपना देख रहा था।

भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से यह अब एक वास्तविकता है। एक लाख करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट पहले ही हो चुका है और एक लाख करोड़ और इन्वेस्ट करने की योजना है, हम 20 लाख लोगों को आजीविका देने और 3 मिलियन टन एल्यूमीनियम प्लांट बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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