अहमदाबाद। गुजरात के सूरत में एक बार फिर सोमवार को पुलिस के ऊपर प्रवासी मजदूरों ने पत्थर बरसाए। जिसके बाद पुलिस ने उन लोगों पर जवाबी कार्रवाई करते हुए स्थिति को नियंत्रण में लेना का प्रयास किया और आंसू गैस के गोले दोगे। वीडियो में साफतौर पर देखा जा सकता है कि प्रवासी मजदूर पुलिस के ऊपर पत्थरबाजी कर रही है। लॉकडाउन 3 शुरू होने के बाद इन प्रवासियों की मांग थी कि उन्हें अब अपने पैतृक स्थान पर भेजा जाए।
सूरत, प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य वापिस जाने के लिए किसी तरह की यातायात सुविधा न मिलने पर उन्होंने हंगामा किया। उन्होंने लॉकडाउन के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन किया। एक प्रवासी मजदूर ने कहा, “बिहार का रहने वाला हूं यहां मील में काम करता हूं। अभी तक हमें मार्च की पगार भी नहीं मिली है। खाने का ठिकाना नहीं है, सरकार ने कोई सुविधा नहीं दी है। पुलिस वाला आता है, मारता है, डराता है और जाता है।”
#WATCH Gujarat: A clash erupts between migrant workers & police in Surat. The workers are demanding that they be sent back to their native places. pic.twitter.com/aiMvjHGukY
— ANI (@ANI) May 4, 2020
28 अप्रैल को भी हुआ था सूरत में हंगामा
पिछले महीने भी सूरत में लॉकडाउन 2 के दौरान प्रवासी मजदूर और पुलिस में 28 अप्रैल को झड़प देखने को मिली थी, जिसके बाद पुलिस ने 5 लोगों को हिरासत में लेते हुए 300 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था उनमें अधिकतर सूरत में रहने वाले प्रवासी मजदूर थे।
पुलिस के मुताबिक, यह वाकया उस वक्त शुरू हुआ जब ढिंढोली पुलिस थाना के अंतर्गत आने वाले ठाकोर नगर में पुलिस ड्यटी पर थी। ढिंढोली पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर एच.एम. चौहान ने कहा, “कुछ लोग बिना किसी वजह के बाजार में घूम रहे थे। जब पेट्रोलिंग वैन पर सवार पुलिस ने उन सभी से घर में रहने और लॉकडाउन के नियमों का पालन करने को कहा तो वे गुस्से में आकर पुलिस पर पत्थरबाजी करने लगे। बाद में, स्थानीय लोगों ने भी पुलिस पर पत्थरबाजी की और उनके साथ बहस करने लगे थे।”
पुलिस इंस्पेक्टर ने बताया कि उसी समय पुलिस ने कंट्रोल रूम को इस बारे में इत्तिला दी। चौहान ने कहा, “घटना के बाद फौरन लिम्बायत और ढिंढोली थाने की पुलिस मौके पर घिरे हुए पुलिसकर्मियों की मदद करने के लिए पहुंची। यह विवाद करीब एक घंटे बाद जाकर सुलझाया गया। हालांकि, इस घटना में कमलेश चौधरी नाम के एक हेड कांस्टेबल को चोट आई है और एक पुलिस की गाड़ी क्षतिग्रस्त हुई थी।”
11 अप्रैल को सूरत में झड़प के बाद 81 लोगों की गिरफ्तारी
इससे पहले, 11 अप्रैल को पुलिस ने एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 का उल्लंघन करने और दंगा के आरोप में सूरत में 81लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें अधिकतर ओडिशा के प्रवासी मजदूर थे। इनमें से कई प्रवासी मजदूरों को मार्च के महीने के वेतन नहीं मिल पाने और 25 मार्च को लगाए गए 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते अथॉरिटीज की तरफ से पैतृक स्थान पर जाने की इजाजत नहीं मिल पाने की वजह से ये लोग हिंसा पर उतर आए थे।