नई दिल्ली, 18 मार्च। मंगलवार को नई दिल्ली में देश के 10 केन्द्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन (National Convention of Workers) का आयोजन किया गया। इस कन्वेंशन में मोदी सरकार की श्रमिकों विरोधी नीतियों को लेकर हुंकार भरी गई। नए चार लेबर कोड को वापस लेने सहित अन्य मांगो को लेकर 20 मई को देशव्यापी आम हड़ताल किए जाने का निर्णय लिया गया।
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC के अध्यक्षों ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। ट्रेड यूनियनों के सभी महासचिवों ने सम्मेलन को संबोधित किया और मजदूर विरोधी और कारपोरेट समर्थक चार श्रम संहिताओं के बारे में बताया। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही कारपोरेट समर्थक नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों की भी आलोचना की।
एक के बाद एक वक्ताओं ने बताया कि किस तरह सरकार देश की संपदा को कॉरपोरेट्स के हाथों लूटने दे रही है। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों में कटौती की निंदा की। सम्मेलन में सर्वसम्मति से चार पेज का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रमुख प्रस्ताव इस प्रकार हैं :
- मजदूर विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक चार श्रम संहिताओं को तत्काल वापस लिया जाए।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण/विनिवेश को तत्काल रोका जाए
- न्यूनतम वेतन के रूप में 26,000 रुपए का भुगतान, किया जाएग
- भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन किया जाए
चार्टर ऑफ डिमांड के तहत सम्मेलन में सर्वसम्मति से 20 मई, 2025 को पूरे देश में आम हड़ताल आयोजित करने का निर्णय लिया गया।