लखनऊ। लखनऊ के केजीएमयू और अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत एक प्रोग्राम तैयार किया है। इस प्रोग्राम के तहत केवल सीने के एक्स-रे से पता चल जाएगा कि मरीज कोरोना संक्रमित है या नहीं।
दरअसल, कोरोना संक्रमित मरीजों की कई जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई और बाद में पता चला कि उसे कोरोना संक्रमण है। ऐसे कई केस सामने आए हैं जिनमें कोरोना जांच किट ने कई बार गलत रिपोर्ट दी है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के केजीएमयू और अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी जांच को और मजबूत बनाने के क्रम में काफी दिनों से शोध कर रहे थे। अब दोनों संस्थानों ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बदौलत एक प्रोग्राम तैयार किया है। जिससे सिर्फ सीने यानी छाती का एक्स-रे देखकर यह पता चल पाएगा कि मरीज कोरोना संक्रमित है या नहीं।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने प्रदेश के कई जिलों से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की छाती का एक्स-रे मंगाकर इस पर काम शुरू कर दिया है। अब ये जल्द ही क्लीनिकल ट्रायल में जाएगा। लखनऊ के केजीएमयू हॉस्पिटल ने बकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात की जानकारी दी है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि चीन और अमेरिका के बाद केजीएमयू जल्द ही एक्स-रे देखकर कोविड मरीजों की पहचान करेगा। एक्स-रे से ना सिर्फ कोविड मरीजों का पता चलेगा बल्कि फेफड़े के संक्रमण से यह भी पता लग पाएगा कि मरीज कब और कितनी जल्दी ठीक हो सकता है।
बता दें कि जब चीन में रैपिड टेस्ट कम हो रहे थे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का यह तरीका कारगर साबित हुआ था। इस मॉडल में कोविड-19 रोगियों की पहचान करने का काम अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और कुछ अन्य देशों भी कर रहे हैं। अब जल्दी भारत में केजीएमयू में यह शुरू होने जा रहा है।