लॉकडाउन (Lockdown) खत्म होने के बाद अगर वर्कर्स काम पर नहीं लौटते हैं तो राज्य सरकारें उनके खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी है। कुछ राज्यों में फैक्टरी और कारखानों को यह अनुमति दे दी गई है कि अगर लॉकडाउन हटने के बाद भी कामगार काम पर नहीं लौटते हैं तो उनकी सैलरी काटी जा सकती है। साथ ही उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वे अपने-अपने राज्यों में ऐसी एडवाइजरी जारी करने पर विचार कर रहे हैं ताकि टॉप लेवल के वर्कर्स अपने काम पर वापस लौटें। गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में लेबर लॉ में छूट दी गई है ताकि वर्कर्स की नियुक्ति और छंटनी (Hire and Fire) आसानी से हो सके। राज्य सरकारें कंपनियों को छूट दे रही है ताकि वो आर्थिक गतिविधियां दोबारा शुरू कर सकें।
गुजरात के लेबर डिपार्टमेंट के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, “इस मामले में विचार चल रहा है। 17 मई के बाद अगर लॉकडाउन नहीं बढ़ता है तो वह इस पर आखिरी फैसला करेंगे।”
इस मामले में अगर कोई दिशानिर्देश जारी होता है तो वह फैक्टरीज एक्ट के तहत होगा। फैक्टरीज एक्ट के तहत वे सभी बिजनेस आते हैं जिसमें 10 या इससे ज्यादा वर्कर्स काम करते हैं और उस काम में बिजली का इस्तेमाल होता हो। या फिर 20 या इससे ज्यादा लोग काम करते हों लेकिन उस काम में बिजली का इस्तेमाल ना होता हो।
राज्य सरकारें अगर कोई सर्कुलर जारी करती है तो वो प्रवासी मजदूरों पर भी लागू होगा। ये मजदूर या तो अपने घर जा चुके हैं या घर जाने की तैयारी में हैं। राज्य सरकार के ऐस गाइडलाइंस पर विचार करने का मकसद लॉकडाउन खत्म होने के बाद प्रवासी मजदूरों को जल्दी वापस लाना है।
गोवा, गुजरात और दूसरे राज्यों में अप्रैल में इसी तरह की एक एडवाइजरी दवा, सब्जी, दूध, फल और खाने-पीने की चीजों की डिलीवरी पक्की करने के लिए जारी की गई थी।
source : MoneyControl