नई दिल्ली। संसद की श्रम मामलों की स्थायी समिति ने उत्तर प्रदेश और गुजरात समेत 9 राज्यों से श्रम कानूनों को श्कमजोरश् किए जाने को लेकर जवाब मांगा है। समिति के अध्यक्ष भर्तुहरि महताब ने बुधवार को कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की कीमत पर उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। उत्तर प्रदेश और गुजरात के अलावा भाजपा शासित मध्य प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश और असम के साथ ही कांग्रेस शासित राजस्थान और पंजाब से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
श्रम कानूनों को कमजोर किए जाने को लेकर बीजू जनता दल (बीजद) शासित ओडिशा सरकार से भी जवाब तलब किया गया है। महताब भी बीजद से ही आते हैं। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों की सरकारों ने लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुई आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने और निवेश आकर्षित करने के मद्देनजर श्रम कानूनों में संशोधन किया है।
इसी तरह, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात ने अपने संबंधित श्रम कानून में संशोधन कर एक दिन में काम के घंटों को आठ से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है। महताब ने पीटीआई-भाषा से कहा, श्रमिकों से संबंधित विभिन्न कानूनों को कमजोर किए जाने को लेकर नौ राज्यों से जानकारी तलब की गई है क्योंकि हम यह जानना चाहते हैं कि श्रम कानूनों को कमजोर किए जाने से उद्योग को कैसे फायदा होगा? साथ ही यह भी देखना है कि वे श्रमिकों के अधिकारों को कुचल तो नहीं रहे हैं।
उद्योगों की सहायता करने और श्रमिकों के अधिकारों का संरक्षण करने के बीच संतुलन बनाने की जरूरत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि श्रमिकों के अधिकारों की कीमत पर उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं दिया जा सकता, यहां एक संतुलन होना चाहिए।