प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट से जल्द राहत मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान करने वाले लाखों कर्मचारियों की पेंशन 300% तक बढ़ सकती है। प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए बेसिक वेतन को 15000 रुपये कर दिया गया है। आपकी 15000 रुपये से अधिक है तो भी सैलेरी पर पीएफ 15000 रुपये पर ही कैलकुलेट होगा।
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सुप्रीम कोर्ट इस सैलेरी लिमिट को खत्म कर सकता है। अभी इस मामले पर सुनवाई चल रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट वेतन की लिमिट को खत्म करता है पीएफ का कैलकुलेशन उच्चतम ब्रैकेट पर भी किया जा सकता है। यानी बेसिक वेतन 15000 रुपये से अधिक होने पर पीएफ का पैसा उच्चतम स्तर पर काटा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों को कई गुना ज्यादा पेंशन मिलेगी।
ये है पूरा मामला
कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना को केंद्र सरकार ने 1 सितंबर 2014 को एक अधिसूचना के जरिये लागू किया गया था। इसका निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने विरोध किया।इस पर ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दाखिल की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने का फैसला किया। 1 अप्रैल 2019 को ईपीएफओ की SLP पर सुनवाई करते हुए कहा कि जो कर्मचारी अपने वास्तविक वेतन के आधार पर योगदान दे रहे हैं, वे अपनी कंपनी के साथ संयुक्त ऑप्शन के रूप में जमा कर रहे हैं। वे बिना औचित्य के पेंशन योजना के लाभों का फायदा उठा नहीं पाते।पेंशन का वेतन 15 हजार रुपये तय करने का कोई औचित्य नहीं है, जिस पर सुनवाई चल रही है। इस मामले पर 17 अगस्त से लगातार सुनवाई हो रही है और ये मामला अभी भी लंबित है।
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इतनी बढ़ेगी आपकी पेंशन
पुराने फॉर्मूले के मुताबिक कर्मचारी को 14 साल पूरे होने पर 2 जून 2030 से करीब 3000 रुपये पेंशन मिलेगी। अगर सुप्रीम कोर्ट कर्मचारियों के पक्ष में फैसला करता है, तो कर्मचारी की पेंशन बढ़ जाएगी। मान लीजिए किसी कर्मचारी की सैलरी (बेसिक सैलरी + डीए) 20 हजार रुपये है। पेंशन के फॉर्मूले के मुताबिक पेंशन 4000 रुपये (20,000X14)/70 = 4000 रुपये हो जाएगी। यानी पेंशन में सीधे 300% का उछाल आ सकता है।
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