देश की शिक्षा व्यवस्था में 2 अप्रैल से एक नया और बड़ा बदलाव हो रहा है। 2 अप्रैल से विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट का फॉर्म उपलब्ध है। इसके साथ ही अब केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों हेतु दाखिले की प्रक्रिया भी बदल गई है।
केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए अब 12वीं के अंक कोई महत्व नहीं रखेंगे। अब तक 12वीं की मेरिट के आधार पर कॉलेजों में दाखिले होते रहे हैं। लेकिन अब छात्र एंट्रेंस टेस्ट की प्रक्रिया से गुजरेंगे जिसके लिए यह फॉर्म भरना अनिवार्य होगा।
हालांकि फॉर्म 2 अप्रैल से उपलब्ध होने के बावजूद केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के यह टेस्ट जुलाई माह के दौरान लिया जाएगा। देशभर के कई बड़े शिक्षाविदों का मानना है कि अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए होने वाला सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट छात्रों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाला है। खासतौर पर ऐसे स्कूली छात्र जो अभी 12वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं।
यूजीसी के मुताबिक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कॉमन एंट्रेंस टेस्ट में प्रदर्शन के आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा। यह परीक्षाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित की जाएगी और परीक्षाएं 13 भाषाओं हिंदी, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, उड़िया, असमिया, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेजी में होंगी। इससे सभी क्षेत्र और वर्गों के छात्रों को समान अवसर उपलब्ध हो सकेंगे।
यूजीसी के अनुसार कॉलेजों में अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए सीयूईटी का फॉर्म 19 अप्रैल तक भरा जा सकेगा। जुलाई 2022 के पहले सप्ताह में प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी।
इन परीक्षाओं के लिए एग्जाम का पैटर्न इस प्रकार का रखा गया है जिसमें बहुविकल्पीय प्रश्न एमसीक्यू होंगे। यह परीक्षा दो शिफ्ट में आयोजित की जाएगी। पहली शिफ्ट में, उम्मीदवार अपनी पसंद की एक भाषा और अपने पाठ्यक्रम के आधार पर दो विषयों के साथ सामान्य परीक्षा देंगे। वहीं, दूसरी शिफ्ट में, छात्र शेष चार डोमेन-स्पेसिफिक विषयों के साथ-साथ फ्रेंच, अरबी, जर्मन आदि वैकल्पिक भाषा की परीक्षा देंगे। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट कि यह पूरी परीक्षा एनसीईआरटी परीक्षा के कक्षा 12वीं के सिलेबस पर आधारित होगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने फैसला किया है कि देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एक सामान्य प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाएगी। यूजीसी का कहना है कि यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) शिक्षा के ‘समानीकरण’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यूजीसी का कहना है कि इस टेस्ट के माध्यम से देशभर के सभी छात्रों को समान अवसर उपलब्ध होंगे। अलग-अलग शिक्षा बोर्ड एवं राज्य सरकारों के बोर्ड पर 12वीं कक्षा में अंक देने के अलग-अलग मानदंड अपनाने के आरोप लगते रहे हैं।
प्रसिद्ध शिक्षाविद सीएस कांडपाल का कहना है कि नया कॉमन एंट्रेंस टेस्ट इस प्रकार के सभी विवादों को विराम देने में सक्षम है। इससे भी बड़ी बात यह है कि अब छात्रों पर स्कूल में पढ़ाई के दौरान 99 से 100 फीसदी अंक लाने का दबाव नहीं रहेगा। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में 100 प्रतिशत कटऑफ के आधार पर दाखिले प्रदान किए जाते रहे हैं।
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