• मनोज शर्मा की कलम …

ख़ुद अपने क़त्ल का इल्ज़ाम ढो रहा हूँ अभी,
मैं अपनी लाश पे सर रख के रो रहा हूँ अभी।
अब कहाँ ढूँढने जाओगे मेरे क़ातिल अभी,
मेरे क़त्ल का आरोपी बना दो मुझे अभी।।

ये पंक्तियां स्व जितेंद्र नागरकर को समर्पित हैं। 27 जुलाई को कुसमुंडा खदान में हुए हादसे पर SECL प्रबंधन का अमानवीय चेहरा सामने आया है। इस हृदयविदरक हादसे में असिस्टेंट मैनेजर माइनिंग जितेंद्र नागरकर असमय ही काल कवलित हो गए। 27 जुलाई को तेज बारिश से खदान में ओवरबर्डन का मलबा भारी मात्रा में बह कर आया जिसमें दब कर जितेंद्र की मौत हो गई। तब प्रबंधन ने कहा था कि खदान से पानी निकालने के लिए लगाया गया ह्यूम पाइप जाम था जो हादसे की बड़ी वजह बना।

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अब बुधवार को कुसमुंडा के GM राजीव सिंह ने हादसे के लिए जितेंद्र को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने एक लिखित ऑफिस ऑर्डर जारी किया। इस पत्र में उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारी बारिश के दौरान खदान की गुमटी में मौजूद जितेंद्र मोबाइल पर गेम खेल रहे थे, उन्हें दूसरों ने बार- बार चेताया किंतु वो गेम खेलने में इतने मशगूल थे कि उन्होंने खतरे से आगाह किए जाने के बाद गेम नहीं छोड़ा और हादसे में उनकी जान चली गई। ये सारे तथ्य उन्होंने हादसे की एक कथित जांच के निष्कर्ष के आधार पर पाया जाना लिखा है।

GM ने इस ऑफिस ऑर्डर में अधिकारियों, कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि यदि कोई इस तरह कार्यस्थल पर मोबाइल पर गेम न खेले और यदि कोई पाया तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक विभागीय कार्यवाई की जाएगी।

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यह अपने आप में चौंकाने वाला है कि खदान कि हर छोटी बड़ी दुर्घटना की जांच DGMS की टीम करती है। फिर यूं आननफानन में किस जांच का हवाला दे कर GM अकाल काल कवलित हो जाने वाले अपने ही युवा अधिकारी को उसकी अपनी मौत का जिम्मेदार बता रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि ओवरबर्डन का ठेका जिस कंपनी को दिया गया है, उसके साथ प्रबंधन की सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर भ्रष्ट कामों पर पर्दा डालने का ये प्रयास है।

जिस बेहयाई और असंवेदनशीलता के साथ GM ने अपना ऑफिस ऑर्डर जारी किया था उससे एसईसीएल के अधिकारी एवं कर्मचारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त हो गया। उच्च प्रबंधन ने भी फटकारा। जिसके कारण आधी रात इन्होंने एक पत्र जारी कर उक्त ऑफिस ऑर्डर के पत्र को वापस ले लिया मगर उनकी यह हरकत फिर वही प्रश्न मजबूती से खड़ा करती है कि आखिर जीएम किसको बचाना चाह रहे हैं। इस परिस्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि हादसे की निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें यहां से ट्रांसफर किया जाना चाहिए।

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कोल माइन्स ऑफिसर्स एसोसिएशन (CMOAI) ने गुरुवार को चेयरमैन कोल इंडिया, विभिन्न डायरेक्टर्स और सीएमडी, एसईसीएल को पत्र लिख कर मांग की है कि GM कुसमुंडा पर ऐसी सख्त कार्यवाही करें जो एक मिसाल बने ताकि कोई दूसरा ऐसा करने का दुस्साहस न कर सके।

Manoj Sharma

(लेखक कोरबा जिले के वरिष्ठ पत्रकार और कोरबा प्रेस क्लब के संरक्षक हैं)

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