सरकारी कर्मचारियों के लिए कई खुशखबरी है. दिवाली बोनस तो मिला ही है, डीए और टीए में भी वृद्धि हुई है. पहले का बकाया महंगाई भत्ता भी जोड़ कर मिल रहा है. इस तरह सरकारी कर्मचारियों को एक साथ कई फायदे मिल रहे हैं. महंगाई भत्ता यानी कि DA में बढ़ोतरी के अलावा केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ गई है जिसका फायदा उन्हें जनवरी से मिलेगा. एक मीडिया रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. दरअसल यह बढ़ोतरी हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में की जाएगी जिससे सैलरी में भी इजाफा होगा.
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में 11.56 लाख से अधिक कर्मचारियों के हाउस रेंट अलाउंस (HRA) को लागू करने की मांग पर पहले ही मंथन शुरू कर दिया है. गौरतलब है कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड के पास भेजा गया है. वहीं प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद जनवरी 2021 से कर्मचारियों को एचआरए मिल जाएगा. एचआरए मिलते ही इन कर्मचारियों की सैलरी में अच्छी-खासी वृद्धि देखी जाएगी. इंडियन रेलवे टेक्निकल सुपरवाइजर्स एसोसिएशन (IRTSA) और नेशनल फेडरेशन ऑफ रेलवेमेन (NFIR) ने 1 जनवरी, 2021 से HRA लागू करने की मांग की है.
HRA बढ़ने का फायदा
कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में वृद्धि से उनके मकान किराया भत्ता (HRA) और परिवहन भत्ता (टीए) में वृद्धि होगी. ये दोनों मद तनख्वाह में जुड़ते हैं जिससे पहले से मिलने वाली सैलरी ज्यादा बढ़कर आएगी. इसके अलावा कर्मचारियों को दिवाली बोनस भी मिला है. इससे उन्हें दोनों तरह के लाभ एक साथ मिल रहे हैं.
सातवें वेतन आयोग (7th pay commission) के पे मैट्रिक्स के रूप में, प्रत्येक स्तर के कर्मचारी का वेतन उनके डीए और एचआरए बढ़ने पर बढ़ता है. सातवें वेतन आयोग ने अपनी सिफारिश में पहले प्रस्ताव दिया था कि जब डीए 25 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, तो एचआरए भी बढ़ेगा और दर 8, 16, 24 प्रतिशत से बढ़कर 9, 18 और 27 प्रतिशत हो जाएगी.
पहले से कितनी बढ़ेगी सैलरी
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. अगर किसी का मूल वेतन 30,000 रुपये है, तो उसे लगभग 5400 रुपये से 8100 रुपये प्रति माह का लाभ मिलेगा. ताजा अपडेट के मुताबिक, मकान किराया भत्ता कम से कम 5400 रुपये प्रति माह तय किया गया है, जो इससे कम नहीं हो सकता.
यह ध्यान रखना चाहिए कि एचआरए सैलरी का ही एक हिस्सा है जो एक कंपनी द्वारा कर्मचारियों को उस शहर में रहने के खर्च को देखते हुए भुगतान किया जा रहा है. हालांकि, कंपनी अपने सैलरी स्ट्रक्चर, वेतन राशि और कर्मचारी के रहने वाले शहर जैसे मानदंडों के आधार पर भुगतान की जाने वाली एचआरए राशि तय करती है. अगर शहर महंगा है तो एचआरए ज्यादा होगा, शहर सस्ता है तो एचआरए कम होगा. दरअसल, एचआरए बढ़ाने के पीछे कर्मचारियों को खर्च में राहत देना है.
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