coal bearing area : नई दिल्ली, 26 नवम्बर। कोयला मंत्रालय ने कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 के मसौदे पर प्रतिक्रियाएं आमंत्रित की हैं। मसौदा विधेयक पर प्रतिक्रियाएं [email protected] और [email protected] पर ईमेल द्वारा 27 दिसम्बर, 2024 तक भेजी जा सकती हैं।
कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) संशोधन विधेयक, 1957 जो कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 कहलाएगा। इसमें कई संशोधन किए हैं।
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इसमें सबसे बड़ा संशोधन यह है कि कोयला खदानों के लिए अधिग्रहित की गई भूमि को सरकारी कंपनी/केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार भूमि पर अधिकार सहित उसे आबंटित/पट्टे पर भी दी जा सकती है। यानी सरकारी कंपनियों के लिए अधिग्रहित भूमि को निजी संस्थाओं को अनेक आधारभूत परियोजनाओं के लिए दिया जा सकता है। सरकारी कंपनी द्वारा अधिग्रहण की गई भूमि के पट्टे की अवधि खदान के संपूर्ण जीवनकाल के लिए होगी। पहले यह पट्टा निश्चित समयावधि के लिए होता था। खनन पट्टा की अवधि खान का संपूर्ण जीवनकाल होने के कारण सरकारी कंपनियों को कोयला खनिज के खनन पट्टा की स्वीकृति व अवधि विस्तार से जो अतिरिक्त राशि राज्य सरकार मिलती थी अब वो नहीं मिलेगी।
मुआवजा भुगतान को लेकर भी विधेयक में संशोधन किया गया है। इसमें किसी प्रकार की आपत्ति अथवा विवाद की स्थिति में न्यायाधिकरण के पास मुआवजा जमा करा दिया जाएगा। पुनर्वास और पुनर्स्थापन को लेकर भी संशोधन किए गए हैं।
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नया प्रावधान
कोयला धारक क्षेत्र (अधिग्रहण और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 में नया प्रावधान भी जोड़ा गया है। इसमें धारा 29 के तहत खदान बंद होने के बाद पुनः उपयोग के लिए या खनन के लिए अव्यवहार्य भूमि के उपयोग के लिए भूमि का हस्तांतरण/वापसी/निहित करना, जहां केंद्र सरकार को ऐसा प्रतीत होता है कि इस अधिनियम के तहत अधिग्रहित किसी भी भूमि की अब आवश्यकता नहीं है, वह ऐसी भूमि को विभिन्न उपयोगों के लिए हस्तांतरित/वापस/निहित कर सकती है, जैसा कि वह उचित समझे, आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से, जैसा भी मामला हो। ऐसी भूमि की अधिसूचना प्रकाशित की जाएगी।
संशोधन विवरण के लिए PDF पर क्लिक करें : Coal Bearing Areas (Acquisition and Development) Amendment Bill, 2024