दिल्ली, 25 अगस्त, 2022: बेयर (Bayer) ने आज भारत में केरेन्डिया (Kerendia) ब्रैंड के तहत् फिनरेनॉन (Finerenone) को लॉन्च करने की घोषणा की है। फिनरेनॉन अपनी तरह की पहली नॉन-स्टेरॉयडल, सलेक्टिव मिनिरलोकॉर्टिकॉयड रिसेप्टर एंटागोनिस्ट है जो क्रोनिक किडनी रोगों तथा टाइम 2 डायबिटीज़ मरीज़ों को दी जाती है। हाल में कराए गए इंडियन क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ (Chronic Kidney Disease) अध्ययन से यह सामने आया है कि मधुमेह भारत में क्रोनिक किडनी रोगों तथा एंड-स्टेज किडनी डिज़ीज़ के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।
मधुमेह से ग्रस्त 40% से अधिक रोगी आगे चलकर क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ के भी शिकार बनते हैं। भारत में 7.4 करोड़ लोग मधुमेह पीड़ित हैं और 2030 तक इस आंकड़े में बढ़ोतरी होकर 9.3 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है, और यह महामारी का रूप ले लेगी। देश में मधुमेह ग्रस्त लोगों की संख्या के हिसाब से चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है।
मनोज सक्सेना, प्रबंध निदेशक, बेयर ज़ायडस फार्मा (Bayer Zydus Pharma), ने कहा, ”क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ और डायबिटीज़ रोगियों में थेरेपी का मुख्य ज़ोर एंड स्टेज रीनल डिज़ीज़ या किडनी फेलियर से बचाव करने पर रहता है। थेरेपी के बावजूद, इन मरीज़ों की हालत लगातार बिगड़ते हुए किडनी फेल होने की नौबत आ जाती है।
फिनेरेनॉन (Finerenone) इन मरीज़ों के लिए उपचार की पेशकश करता है जिससे क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ का बढ़ना भी कम होता है और किडनी फेल होने का जोखिम भी घटता है। साथ ही, यह क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ से जुड़े हृदय रोग संबंधी जोखिमों को भी कम करता है। इसके अलावा, जिन मरीज़ों की किडनी फेल हो चुकी होती है और इलाज के लिए डायलिसिस या रीनल ट्रांसप्लांट पर निर्भर होते हैं, उन मरीज़ों तथा उनके परिवारों के लिए यह भारी आर्थिक बोझ होता है।”
CKD से ग्रस्त T2D मरीज़ों में, फिनरेनॉन काफी अलग होती है। यह मिनिरलोकॉर्टिकॉइड रिसेप्टर (एमआर) ओवरएक्टीवेशन को अवरुद्ध करती है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह CKD के गंभीर होने तथा कार्डियोवास्थ्युलर क्षति पहुंचाने में योगदान करती है।
फिनरेनॉन (Finerenone) के फेज़ III क्लीनिकल परीक्षण प्रोग्राम में दुनियाभर में 13000 मरीज़ों को शामिल किया गया ताकि टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित क्रोनिक किडनी डिजीज़ रोगियों में किडनी एवं कार्डियोवास्क्युलर संबंधी सुरक्षा एवं प्रभावों की जांच-पड़ताल की जा सके।
इन नतीजों से यह सामने आया है कि फिनरेनॉन, ऑप्टीमाइज़्ड रेनिन-एंजियोटेंसिन सिस्टम ब्लॉकेड (RAS) के अलावा, 57% ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (eGFR) किडनी कंपोजिट आउटकम के जोखिम को 23% कम करता है, तथा कंपोजिट सीवी आउटकम में 14% तक कमी आती है।
क्लीनिकल परीक्षण अध्ययनों के नतीजों के आधार पर, फिनरेनॉन को यू.एस् फूड एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा जुलाई 2021 में मंजूरी दी गई, जबकि यूरोपीयन कमिशन ने फरवरी 2022 में इसे मार्केटिंग के लिए अधिकृत किया, और इसके बाद अप्रैल 2022 में भारत में स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा इसे स्वीकृत किया गया।
भारत में स्वीकृति के अनुसार, फिनरेनॉन (Finerenone) से सस्टेन्ड एस्टीमेटेड eGFR डिक्लाइन, एंड स्टेज किडनी डिज़ीज़, कार्डियोवास्क्युलर रोग, नॉन-फैटल मायोकार्डियल इंफार्क्शन तथा टाइप 2 डायबिटीज़ पीड़ित क्रोनिक किडनी डिज़ीज़ ग्रस्त वयस्क मरीज़ों में हार्ट फेल के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आशंका भी घटती है।
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