कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) की सहायक कंपनी और भारत में कोकिंग कोयले की सबसे बड़ी उत्पादक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) ने आत्मनिर्भर भारत विजन के अंतर्गत “मिशन कोकिंग कोल” पहल में अपनी सक्रिय भूमिका के माध्यम से आयातित कोयले पर देश की निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
कोकिंग कोयले के आयात से भारत के बहुमूल्य विदेशी भंडार पर बोझ पड़ता है और इन आयातों में कटौती करने के लिए, बीसीसीएल ने देश के इस्पात उत्पादकों के लिए अपनी कोकिंग कोयला नीलामी प्रक्रियाओं को अधिक अनुकूल, पारदर्शी और आकर्षक बनाने के लिए पर्याप्त सुधार किए हैं।
बीसीसीएल के प्रमुख प्रयासों में से एक ट्रांच VI नीलामी है, जिसमें प्रस्तुत किए गए किसी भी कोयले को बुक नहीं किया गया था। इसकी प्रतिक्रिया में बीसीसीएल ने अपनी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करते हुए इसमें कई सुधार किए। उनमें से कंसोर्टियम बोली की शुरुआत प्रमुख थी जिसने छोटे उपभोक्ताओं को नीलामी में सामूहिक रूप से सहयोग करने और भाग लेने की अनुमति देते हुए बोलीदाताओं के पूल को व्यापक बनाया गया और प्रक्रिया को और अधिक सुलभ बनाया गया।
अधिक प्रतिभागियों को आकर्षित करने के लिए, बीसीसीएल ने लिंकेज नीलामी बोलीदाताओं के लिए पात्रता मानदंडों में संशोधन का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को बीसीसीएल की कार्यात्मक निदेशकों की बैठक में स्वीकृति दी गई और बाद में और विचार के लिए सीआईएल को भेज दिया गया। इस प्रस्ताव में स्टील प्लांट, वर्तमान या नई कोकिंग कोल वाशरी और वाशरी के पावर कोल बाय-प्रोडक्ट्स का उपभोग करने में सक्षम अन्य संयंत्रों से युक्त कंसोर्टियम की भागीदारी शामिल थी। सीआईएल ने इस विचार को शीघ्रता से अपनाया, जिसके परिणामस्वरूप स्टील उप-क्षेत्र के लिए लिंकेज नीलामी के सातवें चरण के लिए एक नया योजना दस्तावेज विकसित किया गया।
योजना दस्तावेज की आधिकारिक अधिसूचना से पहले और व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, बीसीसीएल और सीआईएल ने दिल्ली में उपभोक्ता बैठक का आयोजन किया जिसमें इस्पात उत्पादकों और उद्योग संघों से फीडबैक एकत्र किया गया। इस प्रयास के साथ-साथ संभावित बोलीदाताओं के साथ निरंतर अनुवर्ती कार्रवाई और सक्रिय भागीदारी, नियमित संचार ने नीलामी प्रक्रिया में भागीदारी में उल्लेखनीय सुधार किया।
इन पहलों के परिणामस्वरूप, बीसीसीएल ने स्टील उप-क्षेत्र के लिए हाल ही में संपन्न दीर्घकालिक लिंकेज ई-नीलामी (ट्रेंच VII) में अभूतपूर्व सफलता हासिल की। पेश किए गए 3.36 मीट्रिक टन कोकिंग कोयले में से 2.40 मीट्रिक टन की सफलतापूर्वक बुकिंग की गई, जिससे कोयला बुकिंग में एक नया मानक स्थापित हुआ।
बीसीसीएल के इन प्रयासों से घरेलू कोकिंग कोयले के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, आयात पर निर्भरता कम होगी और भारत में इस्पात उद्योग को मजबूती मिलेगी। नीलामी प्रक्रिया के बारे में कंसोर्टियम बोली और स्पष्ट संचार के सफल कार्यान्वयन ने उच्च भागीदारी सुनिश्चित की है, जिससे उपभोक्ताओं और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अंतर्गत आयात प्रतिस्थापन के देश के व्यापक लक्ष्य दोनों को लाभ हुआ है।
बीसीसीएल के मुख्य प्रबंध निदेशक श्री समीरन दत्ता ने ट्रांच VII की सफलता पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि नीलामी प्रक्रिया को अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाने के लिए किए गए मजबूत प्रयासों से काफी लाभ हुआ है। सफल बुकिंग घरेलू कोकिंग कोयले के उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।