त्रिपुरा निकाय चुनावों में BJP ने शानदार जीत हासिल की है। पार्टी 14 शहरी निकायों में जीत गई, जहां 15 नवंबर को मतदान हुआ था। इसने अगरतला नगर निगम समेत 11 नगरीय निकायों में क्लीन स्वीप किया। 14 शहरी निकायों की 222 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें से बीजेपी 217 पर विजयी हुई।
CPI(M), जिसने पिछले निकाय चुनावों में सभी शहरी निकायों में जीत हासिल की थी, वो इस बार केवल तीन शहरी निकायों-कैलाशहर और अंबासा नगर परिषदों और पानीसागर नगर पंचायत तक सिमट कर रह गई।
अगरतला नगर निगम (AMC) में BJP के बाद दूसरे सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने अंबासा नगर पंचायत में एक सीट जीती है, जबकि त्रिपुरा के शाही वंशज प्रद्योत किशोर के नेतृत्व वाले TIPRA मोथा ने एक सीट जीती है।
राज्य में 20 में से 14 शहरी स्थानीय निकायों के लिए 25 नवंबर को मतदान हुआ था। राज्य की कुल 324 नगरपालिका सीटों में से बीजेपी ने 112 सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की। बाकी 222 सीटों पर 81.54 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके साथ ही अगरतला नगर निगम पहली बार बिना विपक्ष के है।
मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि यह एक “ऐतिहासिक” जीत थी और त्रिपुरा के लोगों ने वोट डालकर “सोथिक जॉबाब” (उपयुक्त उत्तर) दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि BJP 98.50 प्रतिशत सीटें जीती।
देब ने कहा, “जिन लोगों ने त्रिपुरा को बदनाम करने की कोशिश की, उन्हें देखना चाहिए कि नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों ने मिलकर विकास के पक्ष में मतदान किया।”
तृणमूल कांग्रेस का नाम लिए बिना, देब ने कहा कि चुनावी जनादेश उन लोगों के लिए जवाब था, जिन्होंने “त्रिपुरा का अपमान” करने की कोशिश की और “साजिशों से इसे नीचा दिखाया।”
नतीजे आने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, त्रिपुरा के ICA मंत्री सुशांत चौधरी ने कहा कि लोगों ने “तृणमूल कांग्रेस और CPI(M) की रची गई साजिशों” के खिलाफ मतदान किया, जो “राज्य की शांति और स्थिरता को बिगाड़ने” की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘CPI(M) और TMC की तरफ से रची गई कई साजिशें थीं। इस जनादेश से लोगों ने साबित कर दिया है कि भले ही त्रिपुरा एक छोटा राज्य है, लेकिन गरिमा एक ऐसी चीज है, जो हमें प्रिय है।’
उन्होंने अपनी पार्टी के सभी विजयी पार्षदों और नगरसेवकों से विधानसभा चुनाव से पहले लोगों के साथ मिलकर काम करने और पार्टी के लिए जनता का समर्थन हासिल करने को कहा।
चौधरी ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को “अति उत्साह” से बचने की भी चेतावनी दी और कहा कि उनकी जीत का जश्न दूसरों के लिए “दुख का कारण” नहीं होना चाहिए।