नई दिल्ली, 21 नवम्बर। कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते (NCWA) को अब तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है, जबकि 10वें वेतन समझौते को खत्म हुए सालभर से ज्यादा का समय गुजर चुका है। इस बीच वेतन समझौते के लिए गठित जेबीसीसीआई की छह बैठकें हो चुकी हैं। 7वीं बैठक 30 नवम्बर को होने जा रही है। इधर, भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने फिर से दोहराया है कि वेतन समझौते में डीपीई कोई बाधा नहीं है।
बीएमएस से सम्बद्ध अखिल भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ (ABKKMS) के महामंत्री सुधीर घुरडे ने industrialpunch.com से चर्चा करते हुए कहा कि 30 नवम्बर को जेबीसीसीआई की 7वीं बैठक आयोजित है। प्रयास होगा कि इस बैठक में वेतन समझौते को लेकर सार्थक चर्चा हो और सकारात्मक परिणाम आए।
श्री घुरडे ने कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस (DPE) की गाइडलाइन वेतन समझौते में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं करती है। मामला केवल वेतन विसंगति से जड़ा है। डीपीई की गाइडलाइन कोयला कामगारों में किसी प्रकार की अड़चन पैदा नहीं कर रही है। पिछले दिनों कोल इंडिया के निदेशक (कार्मिक) विनय रंजन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वेतन समझौते में डीपीई की गाइडलाइन कोई बाधा नहीं है। निदेशक कार्मिक के अनुसार कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच वेतन विसंगति के मामले को डीपीई से अवगत करा दिया गया है और इस संदर्भ में डीपीई से दिशा निर्देश मांगा गया है।
श्री घुरडे ने कहा कि सीआईएल प्रबंधन और कुछ यूनियन के लोगों द्वारा डीपीई की गाइडलाइन को मुद्दा बना गुमराह किए जाने का काम किया जा रहा है। भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ के महामंत्री ने कहा कि कोयला कामगारों का सम्मानजनक वेतन समझौता होगा और जल्द होगा। बीएमएस इसके लिए कटिबद्ध है और सीआईएल प्रबंधन पर दबाव बनाए हुए है।
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