भारतीय मजदूर संघ (BMS) के राष्ट्रीय महामंत्री बिनय कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकारी कंपनियों का मोनेटाइजेशन कर अडानी- अंबानी की दुकानदारी चलाने का रास्ता तैयार किया जा रहा है। श्री सिन्हा ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि कोरोनाकाल में मजदूरों की आमदनी घटी है, लेकिन उद्योगपतियों की आमदनी बढ़ी है।
रविवार को बीएमएस से सम्बद्ध भारतीय रेलवे मजदूर संघ (BRMS) ने मूल्यवद्धि- मंहगाई और सार्वजनिक संस्थानों के मोनेटाइजेशन के खिलाफ वर्चुअल संगोष्ठी का आयोजन किया। यह संगोष्ठी 9 सितंबर को देशव्यापी आंदोलन की तैयारी को लेकर थी। आंदोलन के तहत जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा।
इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बिनय कुमार सिन्हा ने कहा मंहगाई और मोनेटाइजेशन का जो विषय बीएमएस ने उठाया है, यह केवल श्रमिक वर्ग से नहीं बल्कि आम जनता से जुड़ा हुआ है। श्री सिन्हा ने कहा कि मूल्यवद्धि- मंहगाई को लेकर बीएमएस ने आठ बिंदुओं का सुझाव केन्द्र सरकार को दिया है। इसमें सबसे प्रमुख सुझाव है कि किसी भी उत्पाद पर उसके लागत मूल्य को अंकित करना। ताकि आम जनता को पता चल सके की वो जिस वस्तु को खरीद रहा है उसकी लागत क्या है और बाजार में उसे किस कीमत पर बेचा रहा है।
बीएमएस के राष्ट्रीय महामंत्री बिनय कुमार सिन्हा ने मोदी सरकार द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम में किए गए संसोधन को कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि इससे जमाखोरी और मुनाफाखोरी बढ़ी है। बाजार में कृत्रिम कमी की स्थिति पैदा की जा रही है। श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार वन नेशन वन टैक्स की बात करती है तो फिर पेट्रोलियम पदार्थों पर यह लागू क्यों नहीं होता। पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। क्योंकि पेट्रोलियम प्रोडक्ट के दाम बढ़ने का असर अन्य वस्तु पर पड़ता है।
श्री सिन्हा ने बताया कि पिछले दिनों आरएसएस की बैठक में भी मूल्यवृद्धि व मंहगाई को लेकर बीएमएस द्वारा पारित किए प्रस्ताव पर चर्चा हुई है। आरएसएस ने कहा है कि मुद्दे में दम है। बीएमएस के प्रस्ताव और आंदोलन की रूपरेखा को देखकर केन्द्र सरकार में थोड़ी घबराहट पैदा हुई है। सरकार बीएमएस से बात करने का प्रयास कर रही है।
संगोष्ठी को बीएमएस के राष्ट्रीय मंत्री अशोक कुमार शुक्ला, भारतीय रेलवे मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद कुमार सिंह सहित अन्य वक्ताओं द्वारा संबोधित किया गया।
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