नई दिल्ली, 04 अक्टूबर। कोयला उद्योग (Coal Sector) में हड़ताल को लेकर मुख्य श्रमायुक्त कार्यालय (Chief Labour Commissioner) में हुई त्रिपक्षीय वार्ता के मिनट्स सामने आए हैं, जो यह खुलासा करे हैं कि बीएमएस और एचएमएस सुलह के लिए तैयार हैं।
यहां बताना होगा कि जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के बाद वेतन संबंधी उपजी स्थिति को लेकर पांचो श्रमिक संगठन एचएमएस, बीएमएस, इंटक, सीटू, एटक ने 5, 6, 7 अक्टूबर को कोयला उद्योग में हड़ताल का ऐलान किया था। कोल इंडिया (CIL) प्रबंधन ने हड़ताल टालने के लिए 27 सितम्बर को नई दिल्ली में पांचो यूनियन के प्रमुख नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था। इस वार्ता में 11 अक्टूबर तक हड़ताल को स्थगित किए जाने का निर्णय लिया गया था।
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इसी दिन प्रस्तावित हड़ताल को लेकर मुख्य श्रमायुक्त कार्यालय द्वारा भी पांचो यूनियन और सीआईएल प्रबंधन के साथ त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित की गई थी, लेकिन सीएलसी के साथ आयोजित वार्ता में इंटक, सीटू, एटक के नेता सम्मिलित नहीं हुए थे। सीएलसी द्वारा बुलाई गई वार्ता में भारतीय मजदूर संघ (BMS) से सुधीर घुरडे, अशीष मूर्ति तथा हिंद मजदूर सभा (HMS) से नाथूलाल पांडेय, रामांशु पांडेय ने शिरकत की थी। इस बैठक में बताया गया कि सीआईएल प्रबंधन के साथ हुई बैठक में 11 अक्टूबर तक हड़ताल स्थगित करने पर सहमति बनाई गई है। मुख्य श्रमायुक्त कार्यालय ने भी हड़ताल पर नहीं जाने की सलाह दी।
मुख्य श्रमायुक्त कार्यालय से त्रिपक्षीय वार्ता के मिनट्स सामने आए हैं। इस मिनट्स की अंतिम लाइन बीएमएस एवं एचएमएस पर सवाल खड़ी करती है। इस लाइन में लिखा है कि दोनों यूनियन (बीएमएस व एचएमएस) की आपसी सहमति से सुलह बैठक के लिए 10 अक्टूबर की तारीख तय की गई है।
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अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या बीएमएस और एचएमएस हड़ताल पर नहीं जाने के लिए मुख्य श्रमायुक्त के साथ सुलह बैठक करेंगे। रांची की बैठक में जब तीन दिवसीय हड़ताल का निर्णय लेते हुए इसका ऐलान किया गया था, तब एचएमएस नेता नाथूलाल पांडेय ने हड़ताल से हटने की बात कही थी। श्री पांडेय ने कहा था कि हड़ताल की जरूरत क्या है। रांची की बैठक में श्री पांडेय मौजूद नहीं थी। उनके स्थान पर एचएमएस से दूसरे नेता बैठक में शामिल हुए थे। हालांकि बाद में एचएमएस के उच्च पदाधिकारियों की फटकार के बाद हड़ताल में सम्मिलित होने का बयान आया।
इसी तरह बीएमएस को लेकर भी शंका जाहिर की गई कि वो हड़ताल में सम्मिलित होगा या नहीं। दरअसल बीएमएस के कोल प्रभारी केन्द्र सरकार की मुखालफत करने से बचते हैं। एनसीडब्ल्यूए- XI को लेकर DPE के 24 नम्वबर, 2017 के जिस कार्यालय ज्ञापन के कारण कोर्ट में पेंच फंसी है, उसे बीएमएस के कोल प्रभारी ने कभी मुद्दा नहीं माना है।