BMS K Lakshma Reddy
BMS K Lakshma Reddy

नई दिल्ली, 24 जनवरी। जेबीसीसीआई की 8वीं बैठक में 19 फीसदी न्यूनतम गारंटीड लाभ (MGB) पर सहमति का मामला डीपीई (Department of Public Enterprises) में आकर लटक गया है। माना जा रहा है कि डीपीई को अपनी गाइडलाइन (कार्यालय ज्ञापन 24.11.2017) के प्रावधानों में छूट देना होगा, इसके बाद ही तय एमजीबी पर मुहर लग सकेगी। हालांकि कोयला मंत्रालय इस प्रयास में लगा हुआ है। सूत्रों ने बताया कि कोल इंडिया चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल भी अपने स्तर पर डीपीई से एमजीबी को स्वीकृति दिलाने में लगे हुए हैं।

इधर, यह सवाल उठ रहा है कि भारतीय मजदूर संघ के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी इस बात की रट क्यों लगा रखे थे कि कोयला कामगारों के वेतन समझौते में डीपीई को मुद्दा नहीं है। श्री रेड्डी ने कई मौकों पर दोहराया कि डीपीई बाधा नहीं है, दूसरे यूनियन इसे अनावश्यक मुद्दा बना कामगारों को गुमराह कर रहे हैं। चुंकि रेड्डी बीएमएस के कोल प्रभारी हैं, लिहाजा उनके अलापे गए राग अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के अन्य नेताओं ने भी सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया था।

संघ के कुछ वरिष्ठ नेता रेड्डी की डीपीई बाधा नहीं है वाली बातों से सहमत नहीं थे। संगठन के अनुशासन के दायरे के कारण ऐसे नेताओं ने सार्वजनिक तौर पर रेड्डी की बातों से असहमति जताने से परहेज किया। 19 फीसदी एमजीबी पर सहमति बन जाने के बाद बीएमएस के कोल प्रभारी इसे कोयला कामगारों की बड़ी जीत बता रहे हैं और श्रेय लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन रेड्डी इस पर खामोश हैं कि एमजीबी का मामला डीपीई में जाकर लटक गया है। इस संदर्भ में चर्चा करने के लिए industrialpunch.com ने उनसे संपर्क किया किंतु उन्होंने बात नहीं की।

कोयला मंत्रालय कर रहा लाइजिनिंग

डीपीई में 19 फीसदी एमजीबी देने का मामला लटक हुआ है। दरअसल डीपीई की छूट के बगैर 19 प्रतिषत एमजीबी पर सहमति बनाई है। सूत्रों की मानें तो डीपीई 19 फीसदी एमजीबी को लेकर सहमत नहीं है। कोयला मंत्रालय ने जरूर अपने संयुक्त सचिव भबानी प्रसाद पति को मामले को लेकर डीपीई के साथ लाइजिनिंग के लिए लगा रखा है। कहा जा रहा है कि जब तक अति उच्च स्तर का हस्तक्षेप नहीं होगा डीपीई से स्वीकृति मिलना मुश्किल है। गेंद वित्त मंत्रालय के पाले में है। कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय सीधे तौर पर कोयला मंत्रालय की बात नहीं सुनेगा। पीएमओ हस्तक्षेप के बाद ही कुछ बात बन सकी है। हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि कोयला मंत्रालय अपने स्तर पर प्रयासरत है। श्रमिक संगठनों को भी डीपीई पर दबाव बनाने के लिए काम करना होगा।

अधिकारियों के संगठन ने कहा- अन्याय होगा।

अधिकारियों का एक संगठन वेतन विसंगति को लेकर सवाल उठाते हुए पत्राचार कर रहा है। 19 फीसदी एमजीबी को डीपीई द्वारा स्वीकृत किया जाता है तो ग्रेड एक वन कोल कर्मियों का वेतन अधिकारियों के ग्रेड ई 4 से अधिक हो जाएगा। जबकि 10वें वेतन समझौते के बाद ग्रेड ए वन का वेतन ई 2 से कम था। कोल माइंस अफसर एसोसिएषन ऑफ इंडिया (सीएमओएआई) डीपीई की गाइडलाइन के निर्देशों का पालन करने की मांग कर रहा है। अफसरों के संगठन का कहना है कि गैर अधिकारियों का वेतन अधिकारियों से अधिक नहीं होना चाहिए। 19 फीसदी एमजीबी को स्वीकृति मिलती है तो गैर अधिकारियों के ग्रेड ए वन का बेसिक 71,031 हो जाएगा, जो कि अधिकारियों के ई 4 के बेसिक 70,000 से अधिक हो जाएगा। अधिकारियों के संगठन का कहना है कि वेतन विवाद खत्म नहीं किया तो यह उनके साथ अन्याय होगा।

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