रायपुर, 18 सितम्बर। भारतीय मजदूर संघ (BMS) के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने कोल अफसरों और इनके संगठन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। श्री रेड्डी ने कहा कि अब समय आ गया है कि कोल अफसरों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाए। बीएमएस नेता ने कोल अधिकारियों के संगठन (CMOAI) के महारत्न कंपनी के बराबर वेतन की मांग को भी गलत ठहराया।

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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला दौरे पर पहुंचे बीएमएस के कोल प्रभारी एवं जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी ने स्थानीय मीडिया से चर्चा की। श्री रेड्डी ने NCWA- XI को निरस्त करने का लेकर कोल अफसरों द्वारा उच्च न्यायालय जाने को गलत ठहराया और कहा कि वे ऐसा कर वेतन समझौते को कानूनी दांव पेंच में फंसा रहे हैं। कोल अफसरों ने लगभग ढाई लाख मजदूरों के हितों पर आर्थिक चोट पहुंचाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि कोयला कामगारों के 19 फीसदी MGB को कोल अफसर पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कोयला कामगारों के वेतन समझौते पर पेंच फंसाए जाने को एक साजिश बताया। इस साजिश में वे लोग शामिल हैं, जो नहीं चाहते की कोयला मजदूरों को नया वेतनमान मिले। बीएमएस नेता ने केन्द्र सरकार से साजिश की जांच कराने की मांग की है।

बीएमएस नेता ने कहा कि अब मजदूर संगठन कोल अफसरों को मिलने वाले सभी कई गैर जरूरी लाभ का विरोध करेंगे। श्री रेड्डी ने कहा कि कोल अफसरों के संगठन द्वारा महारत्न कंपनियों की तर्ज पर वेतन की मांग की जा रही है, लेकिन उनकी यह मांग गैर जरूरी है। बीएमएस के कोल प्रभारी ने सवाल किया कि लोक उद्यम विभाग (DPE) की गाइडलाइन में कहां लिखा है कि कोल अफसरों को इंडिया ऑयल या ऑयल एंड नेचुरल गैस जैसी महारत्न कंपनियों की तर्ज पर वेतन दिया जाए? उन्होंने कहा कि कोल अफसरों की इस मांग का यूनियन विरोध करती है। उन्हें महारत्न कंपनियों के समान वेतन नहीं दिया जाना चाहिए।

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श्री रेड्डी ने कहा कि कोल अफसरों का वेतन समझौता 10 साल के लिए हुआ है। जबकि मजदूरों का पांच साल के लिए। कोल अफसर हर साल न्यूनतम दो लाख रुपए से लेकर अधिकतम आठ लाख रुपए तक पीआरपी प्राप्त करते हैं। हर तीन साल में लैपटॉप की खरीदी के लिए अब लाख रुपए से अधिक मिल रहा है। हम लोगों ने कभी विरोध नहीं किया, लेकिन अब विरोध किया जाएगा।

 

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