नई दिल्ली, 31 मार्च। आज 31 मार्च, यानी चालू वित्तीय वर्ष 2022- 23 का अंतिम दिवस। शनिवार, एक अप्रेल से नया वित्तीय वर्ष 2023- 24 प्रारंभ हो जाएगा। वैसे एक अप्रेल का दिन नए वित्तीय वर्ष के शुरू होने को लेकर कम अप्रेल फूल बनाए जाने को लेकर कहीं अधिक जाना जाता है।
इधर, बीएमएस के कोल प्रभारी के. लक्ष्मा रेड्डी ने दावे के साथ कहा था कि एक अप्रेल से कोयला कामगारों को 19 फीसदी एमजीबी का लाभ मिलने लगेगा। उन्होंने यह दावा किस आधार पर किया था, यह तो वे जानें, लेकिन यह जगजाहिर है कि 19 फीसदी एमजीबी का मामला स्वीकृति के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंटरप्राइजेस (डीपीई) में अटका हुआ। डीपीई में 19 फीसदी एमजीबी के मामले के फंसे होने कारण 24 नवम्बर, 2017 को जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम है। यह ओएम कहता है कि कामगारों का वेतन अधिकारी वर्ग से अधिक नहीं होना चाहिए। 3 जनवरी को आयोजित हुई जेबीसीसीआई की 8वीं बैठक में 19 फीसदी एमजीबी पर सहमति बनी थी। तीन माह बाद भी इसे अधिकारिक मंजूरी नहीं मिल सकी है।
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बार- बार दोहराया डीपीई नहीं है बाधा
अब आते हैं भारतीय मजदूर संघ के कोल प्रभारी और जेबीसीसीआई सदस्य के. लक्ष्मा रेड्डी के उन बयानों पर जिसमें उन्होंने कहा था कि डीपीई वेतन समझौते में बाधा नहीं है। यह बात उन्होंने एक बार नहीं कई दफे दोहराई। श्री रेड्डी ने यहां तक कहा कि डीपीई के मुद्दे को अन्य यूनियन कोयला कामगारों को गुमराह कर रहे हैं।
जेबीसीसीआई के गठन में ही है डीपीई
यहां बताना होगा कि जेबीसीसीआई के गठन में यह निहित है कि डीपीई के 24 नवम्बर, 2017 को जारी गाइडलाइन के अनुसार ही वेतनमान तय होगा और इसका पालन करना होगा। डीपीई रूपी बाधा के मुद्दे को 2 अगस्त, 2022 को कोयला मंत्री श्री जोशी के साथ यूनियन नेताओं की हुई मुलाकात में उठाया गया था। उस दौरान सीटू नेता डीडी रामनंदन ने मंत्री के समक्ष डीपीई की गाइडलाइन में छूट की बात रखी थी। इसके पहले भी डीपीई की गाइडलाइन में छूट प्रदान की गई है। कोल इंडिया प्रबंधन द्वारा इसको लेकर पत्राचार भी किया गया है। 19 फीसदी एमजीबी पर सहमति बनने के बाद कोयला मंत्रालय ने इसे स्वीकृति के लिए डीपीई के समक्ष प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। कोल अफसरों का संगठन भी डीपीई की गाइडलाइन का उल्लंघन कर 19 फीसदी एमजीबी पर सहमित बनाए जाने की बात कह रहा है।
इन सबके बावजूद बीएमएस के कोल प्रभारी श्री रेड्डी अड़े हुए हैं कि डीपीई वेतनमान में कोई बाधा नहीं है। उन्होंने अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के दूसरे नेताओं को भी अपनी तरह राग अलापने की हिदायत दे रखी है। जबकि एबीकेएमएस के कई नेता श्री रेड्डी की इस बात से सहमत नहीं हैं।
रेड्डी मंत्री से मिलने का नहीं ले सके समय
6 मार्च को चारों यूनियन के प्रमुख नेताओं के साथ सीआईएल प्रबंधन ने मीटिंग की थी। इस दौरान प्रबंधन ने कोयला मंत्री से मिलने की सलाह दी थी। इस बैठक में तय हुआ था कि लक्ष्मा रेड्डी के नेतृत्व में कोयला मंत्री से मुलाकात की जाएगी, लेकिन श्री रेड्डी कोयला मंत्री से समय नहीं ले सके। इस बीच वे संगठन के और कोल कंपनियों के दौर पर बिजी रहे। सूत्रों ने बताया कि के. लक्ष्मा रेड्डी अपने स्तर पर कोयला मंत्री से मिलने का समय नहीं ले पाते हैं। इसके लिए उन्हें बीएमएस के संगठन स्तर के नेताओं की शरण में जाना पड़ता है और उनके माध्यम से मंत्री से मुलाकात हो पाती है।
हालांकि इसके पहले 15 फरवरी को के. लक्ष्मा रेड्डी और सुधीर घुरडे ने कोयला मंत्री से भेंट की थी। यह प्रचारित किया गया कि 11वें वेतन समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने कोयला मंत्री से गुहार लगाई गई। दूसरी ओर अपुष्ट तरीके से यह बात भी निकलकर आई थी कि मंत्री से मिलने का मकसद इंटक को जेबीसीसीआई में आने से रोकना भी था।
नहीं कर पाते केन्द्र सरकार की मुखालफत
एक बात और देखने में आई है कि बीएमएस के कोल प्रभारी श्री रेड्डी केन्द्र सरकार और इसके मंत्रालयों की मुख़ालफ़त नहीं करना चाहते हैं। इसकी एक वजह यह है कि आरएसएस केन्द्र की सत्ता पर काबिज़ भाजपा सरकार का पितृ संगठन है और भारतीय मजदूर संघ आरएसएस का यूनियन है। श्री रेड्डी को लगता है कि डीपीई के खिलाफ बोलना यानी केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा करना होगा। डीपीई वित्त मंत्रालय के अधीन है। दूसरा यह कि श्री रेड्डी पर कोल इंडिया प्रबंधन से स्वहित साधने के आरोप भी लगते रहे हैं। इसको लेकर बीएमएस के राष्ट्रीय महामंत्री रहे बिनय सिन्हा ने श्री रेड्डी को नसीहत भी दी थी, लेकिन इसके बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया।
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श्री रेड्डी से पहले डा. राय कोल प्रभारी रहे हैं। डा. राय बेबाक तरीके से अपनी बात रखते थे और श्रमिकों के मुद्दे पर किसी भी सरकार के खिलाफ बोलने और आंदोलन पर जाने से नहीं हिचकिचाते थे।
कोयला कामगारों के 11वें वेतन समझौते को लेकर चारों यूनियन एक मंच पर रही है, लेकिन डीपीई के मामले में बीएमएस ने नरम रुख़ अपना रखा है। इस नरम रुख़ की अगुवाई के. लक्ष्मा रेड्डी कर रहे हैं।