भारतीय मजदूर संघ (BMS) अध्यक्ष के हिरण्मय पंड्या ने बिजनेस स्टैंडर्ड “मंथन 2025” में ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ के पैनल में भाग लिया।

इस चर्चा में उनके साथ श्रम सचिव सुमिता डावरा, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की विशेषज्ञ सुश्री राधिका कपूर भी शामिल थीं। इस सत्र का संचालन बिजनेस स्टैंडर्ड की वरिष्ठ पत्रकार एवं कार्यकारी संपादक निवेदिता मुखर्जी ने किया।

श्री पंड्या ने चर्चा के दौरान यह बताया कि ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव के कारण कुछ प्रकार के काम/नौकरियां समाप्त हो जाएंगी तो कुछ नए प्रकार की नौकरियों का सृजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर श्रमिकों के निरंतर अपस्किलिंग (नए कौशल सीखना) पर ध्यान देना होगा ताकि वे बदलते समय के अनुरूप अपने रोजगार को सुरक्षित रख सकें।

जब उनसे सैमसंग और अमेज़न में हुई हड़तालों के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि द्विपक्षीय वार्ता (बिपार्टीट नेगोसिएशन) ही प्राथमिक विकल्प होना चाहिए और हड़ताल को अंतिम उपाय के रूप में ही अपनाना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ कहा कि श्रमिकों को अपने अधिकारों से समझौता नहीं करना चाहिए। उत्पादन समय (मैन-ऑवर्स) का नुकसान न हो, लेकिन जब आवश्यक हो, तो हड़ताल को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया जा सकता।

उन्होंने एक जूता कारखाने का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां के श्रमिकों ने प्रदर्शन के दौरान उत्पादन पूरी तरह से बंद नहीं किया, बल्कि सिर्फ एक पैर के जूते बनाए। यह अनूठा विरोध तब तक जारी रहा, जब तक कि श्रमिकों की मांगों को मानकर विवाद का समाधान नहीं किया गया। समझौता होते ही उन्होंने दूसरे पैर के जूते बनाने का काम फिर से शुरू कर दिया।

यह उदाहरण दिखाता है कि संघर्ष के साथ-साथ नवाचार (इनोवेटिव प्रोटेस्ट) भी श्रमिक आंदोलन का अहम हिस्सा हो सकता है।

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