नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े केंद्रीय ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने कहा कि केन्द्र सरकार देश के मजदूरों के लिए काम करने का मूड नहीं है। बीएमएस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में गहरी नाराजगी जाहिर की है।
बीएमएस ने कहा कि उसके पास सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण, विनिवेश, निगमीकरण, रणनीतिक बिक्री और संपत्ति मुद्रीकरण की सरकार की नीतियों के खिलाफ “आंदोलन“ करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।
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बीएमएस ’उत्तरदायी सहयोग’ के दर्शन का पालन करता है। संघ बातचीत के माध्यम से मुद्दों को हल करना चाहता है, लेकिन आपके और आपके मंत्रियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अब हमने महसूस किया है कि सरकार देश के श्रमिकों के लिए काम करने के मूड में नहीं है। इसलिए हमारे पास आंदोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
महासचिव बिनय कुमार सिन्हा द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि अगर सरकार बातचीत के लिए बुलाती है तो बीएमएस मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार होगा, लेकिन अगर सरकार भ्रष्ट नौकरशाही और निहित स्वार्थी सलाहकारों से दूर नहीं जाती है, तो हम आंदोलन और विरोध का रास्ता अपनाएंगे।
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बीएमएस ने अदूरदर्शीता और नकारात्मक रवैये के लिए नीति आयोग पर भी निशाना साधा है।
बीएमएस ने कहा कि, नीति आयोग को समाज और अर्थव्यवस्था के पश्चिमी अवलोकन के साथ एकतरफा बुद्धिजीवियों द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो भारतीय वास्तविकता से पूरी तरह से अलग है। ये लोग सरकार को गलत डेटा इनपुट प्रदान कर रहे हैं जो भारत के सामाजिक-आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचा रहा है और साथ ही विकास लक्ष्यों तक पहुंचने से रोक रहा है।
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