केन्द्र सरकार ने कहा-ग्लेशियरों का पिघलना प्राकृतिक प्रक्रिया, इसे नहीं रोक सकते

सरकार ने आज कहा कि ग्लेशियरों का पिघलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। हालांकि, ग्लेशियरों के पिघलने से जोखिम बढ़ जाते हैं।

नई दिल्ली, 06 अप्रेल। सरकार ने आज कहा कि ग्लेशियरों का पिघलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। हालांकि, ग्लेशियरों के पिघलने से जोखिम बढ़ जाते हैं।

यह जानकारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

उन्होंने कहा कि ग्लेशियर के आधार पर जल विज्ञान में परिवर्तन, डाउनस्ट्रीम जल बजट, निर्वहन में भिन्नता के कारण जलविद्युत संयंत्रों पर प्रभाव, अचानक बाढ़ और अवसादन के कारण ग्लेशियरों के पिघलने से हिमालयी नदियों के जल संसाधनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

श्री सिंह ने कहा कि विभिन्न भारतीय संस्थान, संगठन और विश्वविद्यालय ग्लेशियर पिघलने से जुड़ी आपदाओं तक पहुंचने के लिए बड़े पैमाने पर रिमोट सेंसिंग डेटा का उपयोग करके हिमालय के ग्लेशियरों की निगरानी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने स्विस डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के सहयोग से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फूड्स के प्रबंधन पर नीति निर्माताओं के लिए दिशा-निर्देश, संग्रह और सारांश तैयार किया है।

सोशल मीडिया पर अपडेट्स के लिए Facebook (https://www.facebook.com/industrialpunch) एवं Twitter (https://twitter.com/IndustrialPunchपर Follow करें …

  • Website Designing