महिला कर्मचारी नौकरी के साथ अपने बच्चों की बेहतर परवरिश भी कर सकें, इसके लिए रेल प्रशासन की ओर से सिंगल मदर महिला कर्मचारियों को स्थानांतरण में राहत देने का काम किया है। उनका दूसरे स्टेशन पर स्थानांतरण न किए जाने का प्रावधान किया गया है।
रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर स्थापना की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत रेलवे में कार्यरत एकल मां कर्मचारियों को उसी जगह पर रखा जाएगा, जहां वे तैनात हैं। आवश्यकता पड़ने पर उनकी आसपास के क्षेत्र में ही तैनाती की जाएगी। इसके लिए पटल परिवर्तन भी किया जा सकेगा। माना जा रहा है कि रेलवे की इस व्यवस्था से सिंगल मदर कर्मचारी तनाव मुक्त रहेंगी। वे बच्चों की शिक्षा व उनकी परवरिश पर बेहतर ढंग से ध्यान रख सकेंगी।
रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे बोर्ड के आदेश का पालन सुनिश्चित किया गया है। इससे एकल मां महिला कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
रेलवे की तबादला नीति में बदलाव, देखें क्या हो गए नए नियम
दूसरे प्रदेश में कार्यरत रेलवे कर्मचारियों को नौकरी की शुरुआत में दस वर्ष का वनवास काटना होगा। इसके बाद ही अपने क्षेत्र स्थावरण के लिए आवेदन कर पाएंगे। रेलवे बोर्ड के नये आदेश के बाद दक्षिण भारत में कार्यरत बिहार व उत्तर प्रदेश के रहने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। रेलवे में भर्ती के लिए देशभर के युवा आवेदन करते हैं।
चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्हें देश के किसी भी राज्य में तैनाती दी जा सकती है। चतुर्थ व तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों की भर्ती में सबसे अधिक बिहार, उत्तर प्रदेश के रहने वाले युवक आवेदन करते हैं। चयन में भी इन्हीं दोनों राज्यों के युवकों का बोलबाला रहता है। इन्हें देश के विभिन्न राज्यों में तैनात किया जाता है। दूसरे राज्यों में पांच साल सेवा देने के उपरांत अपने घर के नजदीक के स्टेशन या रेलवे आफिस में स्थानांतरण के लिए आवेदन किया जा सकता था और तैनाती भी मिल जाती है। नियम के अनुसार प्रत्येक साल हजारों की संख्या में कर्मचारी स्थानांतरण कराकर दक्षिण भारत पंजाब, पूर्वोत्तर भारत में कार्यरत कर्मचारी बिहार व उत्तर प्रदेश आते हैं।
इसके कारण स्थानांतरण वाले स्थानों पर कर्मचारियों की कमी हो जाती है और इसका प्रभाव संचालन पर पड़ता है। रेलवे बोर्ड ने कर्मचारियों की कमी से बचने से लिए नई तबादला नीति बनाई है। रेलवे बोर्ड के उप निदेशक (एन) संजय कुमार ने दस मार्च करे गारी किया है। इसमें कहा है कि कोई भी कर्मचारी दस साल नौकरी करने के बाद ही रेल मंडल या क्षेत्रीय रेलवे से बाहर स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते है, इसके पहले आवेदन अमान्य होगा।
पत्र में दिव्यांग, मृतक आश्रित के रूप में कार्यरत विधवा, सरकारी नौकरी में कार्यरत पति-पत्नी को इस नियम से अलग रखा गया है। आदेश के बाद बिहार व उत्तर प्रदेश के रहने वाले कर्मियों को घर वापसी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इस आदेश का रेल कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। नरमू के मंडल अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि इस आदेश पर रोक लगवाए जाने के लिए आल इंडिया रेलवे मैस फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री शिव गोपाल मिश्रा से वार्ता की गई है।
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