रायपुर, 05 अगस्त (IP News Desk) : 2023 में कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होंगे, इनमें एक राज्य छत्तीसगढ़ है। यहां कांग्रेस जबरदस्त बहुमत के साथ सत्ता में है। इधर, भाजपा ने चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि पार्टी के पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) को आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर जो प्रारंभिक अनुमान मिले हैं, छत्तीसगढ़ संदर्भ में वो चिंताजनक है। यानी भाजपा के लिए छत्तीसगढ़ की राह आसान कतई नहीं है।
बताया गया है कि भाजपा ने चुनाव की तैयारी को लेकर 76 विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रभारियों के नाम लगभग तय कर लिए हैं। 14 क्षेत्रों की जवाबदारी विधायकों को सौंपी जाएगी। भाजपा ने आम लोगों से सीधे संवाद स्थापित करने की योजना बनाई है। पार्टी का प्लान कांग्रेस सरकार की नाकामियों को जन- जन तक पहुंचाने का है। पिछड़ा वर्ग से वास्ता रखने वाले राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार के समक्ष भाजपा अब तक कोई बड़ी चुनौती पेश नहीं कर सकी है। हालांकि कुछ मुद्दों को लेकर आक्रामक होने की कोशिश की गई है, लेकिन ये मुद्दे बहुत प्रभावी साबित होते नहीं दिख रहे हैं।
15 सालों तक राज्य की कमान संभालने वाले डा. रमन सिंह भी पहले की तरह प्रभावी नजर नहीं आ रहे हैं। इस दौरान भाजपा ने कोई नया नेतृत्व भी नहीं उभारा है। माना जा रहा है कि 2023 के चुनाव में भाजपा मुख्यमंत्री के तौर पर किसी चेहरे को लेकर मैदान पर नहीं उतरेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। भाजपा का फोकस आदिवासी इलाके बस्तर और सरगुजा में है। पार्टी की राज्य प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी बस्तर का निरंतर दौरा भी कर रहीं हैं।
फिलहाल भूपेश सरकार मजबूत, लेकिन मतभेद भी
फिलहाल भूपेश सरकार मजबूती के साथ राज्य में खड़ी दिख रही है, लेकिन पार्टी के भीतर कुछ आपसी टकराव भी सामने आए हैं। 2018 के चुनाव में आदिवासी क्षेत्र सरगुजा में कांग्रेस ने लगभग क्लीन स्वीप किया था, वहां के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से खासे नाराज बताए गए हैं। हाल ही में सिंहदेव ने पंचायत मंत्री का पद छोड़ दिया है। इसके पहले भी उन्होंने ढाई- ढाई साल के मुख्यमंत्री पद को लेकर मोर्चा खोल दिया था। हालांकि विधायकों की बड़ी संख्या मुख्यमंत्री बघेल के साथ खड़ी दिख रही है। अभी चुनाव को डेढ़ साल का वक्त है, इस बीच राजनीति उठापटक से इनकार नहीं किया जा सकता।
2018 में सारे अुनमानों को कांग्रेस ने बता दिया था धता
यहां बताना होगा कि 2018 के चुनाव में सभी अनुमानों को धता बताते हुए कांग्रेस ने विधानसभा की 90 में 68 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी। जबकि 68 सीटों का लक्ष्य भाजपा ने रखा था। अमित शाह ने बकायदा इस लक्ष्य का ऐलान किया था। कांग्रेस को 43 फीसदी वोट मिले थे। भाजपा 33 प्रतिशत मतों के साथ 14 सीटों पर सिमट गई थी। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (JCC) को 5 और बसपा के खाते में 2 सीटें गईं थीं। दोनों दलों ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। बाद में उपचुनावों में जीत हासिल कर कांग्रेस ने विधायकों की संख्या 71 कर ली। भाजपा 15 से 14 पर और जेसीसी 5 से 3 पर आ गई।
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