नई दिल्ली, 24 जून। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा- घुचापुर (Katghora) में स्थित लिथियम ब्लॉक (Lithium Block)के पसंदीदा बोलीदाता के नाम की घोषणा कर दी गई है। देश का पहला लिथियम ब्लॉक मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (Maiki South Mining Private Limited) को मिला है। सोमवार को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी तथा कोयला और खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे की उपस्थित में पहले दौर के बोलीदाताओं के नामों का ऐलान किया गया।

यहां बताना होगा कि खान मंत्रालय ने 29 नवम्बर, 2023 को देशभर में स्थित 20 महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों की पहली किश्त की नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ की थी। इसमें छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित कटघोरा- घुचापुर में स्थित लिथियम ब्लॉक के लिए नीलाती प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी। कटघोरा के लिथियम ब्लॉक की बोलीदाता कंपनी मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड का कारपोरेट ऑफिस कोलकाता में हैं। कंपनी 25 मई, 2021 को अस्तित्व में आई है।

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कटघोरा- घुचापुर में 256.12 हेक्टेयर में लिथियम ब्लॉक फैला हुआ है। इसमें 84.86 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड है। यहां लिथियम एंड री ब्लॉक ((Katghora Lithium and REE Block)) का जी- 4 सर्वे हो चुका है। सर्वे के अनुसार यहां पर्याप्त मात्रा में रेअर अर्थ एलिमेंट्स (Rare Earth Elements) की उपलब्धता है।

नीलामी से जुटाया गया राजस्व राज्य सरकार को भी मिलेगा। जानकारी के अनुसार क्षेत्र में लिथियम की उपलब्धता को लेकर सर्वे किया गया था। 100 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र से 138 नमूने एकत्र किए गए थे। इन नमूनों की जांच के बाद पता चला कि यहां रेअर अर्थ एलिमेट्स के साथ ही इससे संबंधित तत्वों की पर्याप्ता मात्रा में मौजूदगी है। यहां बताना होगा कि भारत अब लिथियम को लेकर चीन से अपनी निर्भरता पूरी तरह से खत्म करने के प्रयास में है।

क्या है लिथियम

लिथियम एक रासायनिक पदार्थ है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है। लिथियम का इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरियों में होता है और इस क्षेत्र में चीन का भारी दबदबा है। REE के विशिष्ट गुणों के कारण इसका इस्तेमाल स्मार्ट फोन, एचडी डिस्प्ले, इलेक्ट्रिक कार, वायुयान के महत्त्वपूर्ण उपकरण, परमाणु हथियार और अंतरिक्ष कार्यक्रमों के साथ कई अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीकी विकास में होता है।

आसान होगा स्वदेशी बैटरी निर्माण

लिथियम के स्रोत पर अधिकार होने के बाद भारत के लिए अपने देश के अंदर ही बड़े स्तर पर बैटरी निर्माण करना आसान हो जाएगा। नीति नीति आयोग इसके लिए एक बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम भी तैयार कर रही है जिसमें भारत में बैटरी की गीगाफैक्ट्री लगाने वालों को छूट भी दी जाएगी। भारत में लिथियम आयन बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कुल कीमत भी काफी कम होगी, क्योंकि बैटरी की कीमत ही पूरी गाड़ी की कीमत का लगभग 30 फीसदी होती है।

एक टन की कीमत 57.36 लाख रुपए

दुनिया भर में भारी मांग के कारण इसे व्हाइट गोल्ड भी कहा जाता है। ग्लोबल मार्केट में एक टन लीथियम की कीमत करीब 57.36 लाख रुपए है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक लिथियम की वैश्विक मांग में 500 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इस लिहाज से भारत में लिथियम का अपार भण्डार मिलना देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत है।

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खनन के दुष्प्रभाव

दुर्लभ मृदा तत्त्व अंतरिक्ष तथा अन्य तकनीकी विकास के लिये बहुत ही आवश्यक हैं, लेकिन इसके खनन के अनेक दुष्प्रभाव भी हैं :

  • प्राकृतिक तटों और उन पर आश्रित पारिस्थितिकी प्रणालियों की क्षति।
  • कई महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ प्रजातियों के वास स्थान इस प्रक्रिया में नष्ट हो जाते हैं।
  • तटों के प्राकृतिक तंत्र की हानि जिससे मृदाक्षरण जैसी अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
  • दुर्लभ मृदा तत्त्वों के खनन तथा प्रसंस्करण से बड़ी मात्रा में जल प्रदूषण होता है तथा Monazite जैसे तत्त्वों में
  • यूरेनियम (0.4%) की उपस्थिति से इसके खतरे और भी बढ़ जाते हैं।

 

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