रायपुर, 06 जून। सोमवार को छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में कोयला खनन परियोजन की स्वीकृति के खिलाफ चल रहे अनिश्चितकालीन धरना स्थल ग्राम हरिहरपुर, जिला सरगुजा में ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव पहुंचे। उनके साथ जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सहित अन्य लोगों का भी आगमन हुआ।
ग्रामीणों ने अपनी बात रखते ग्राम घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन पोर्ते ने कहा कि अनिश्चिकालीन धरने पर बैठे हुए आज हमें 96 दिन हो गए हैं। हमारी ग्रामसभाओं के विरोध के बावजूद कोयला खनन परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। हरिहरपुर के बालसाय कोर्राम ने कहा कि हम अपने जंगल जमीन का विनाश नही चाहते, महोदय आप हमारी रक्षा कीजिए और खनन परियोजन को रद्द करवाइए।
ग्रामीणों ने कहा कि सभी गांव के सरपंच और पंच यहां मौजूद हैं। प्रशासन द्वारा किसी भी ग्रामीण से फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव की जांच हेतु बयान नहीं लिया गया। जांच हेतु कोई अधिकारी गांव में नहीं आया, फिर कलेक्टर कैसे कह रहे हैं कि जांच हो गई है और ग्रामसभा सही है। प्रशासन निष्पक्ष कार्यवाही नहीं कर रहा है।
सभी की बातों को सुनने के बाद मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि आज पूरी दुनिया कोयले से बिजली बनाने के बजाए वैकल्पिक ऊर्जा पर जा रही है । केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2030 तक कोयला आधारित बिजली के उत्पादन को आधा करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस स्थिति में हसदेव जैसे जंगलों का विनाश नहीं होना चाहिए। कोयला ऐसी जगहों से भी निकाला जा सकता है जहां जंगल नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज मेने देखा कंपनी के लोग ग्राम बासेंन में खदान के समर्थन में गाड़ियों में भरकर प्रभावित क्षेत्र से बाहर के लोगों को लेकर आए थे, मुझसे मिलवाने जो मुझे ठीक नहीं लगा और मैंने नाराजगी व्यक्त की।
सिंह देव ने कहा कि गांव के लोग एक राय रहे तो आपकी जमीन कोई नहीं ले सकता है। यदि आप एक राय हैं तो में आपके जंगल जमीन बचाने की लड़ाई में पहली गोली खाने तैयार हूं।
फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि जब गांव के लोग लगातार विरोध कर रहे हैं, इसका साफ मतलब है कि उन्होंने पहले भी खनन की सहमति नहीं दी थी। फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव की प्रशासन को उच्च अधिकारी भेजकर निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आपका आंदोलन आज सिर्फ हरिहरपुर नहीं बल्कि पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है। मुझे गुजरात के कांग्रेस के पदाधिकारियों ने बताया कि वहां के आदिवासी हसदेव पर उनसे सवाल पूछ रहे हैं।
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