नई दिल्ली, 27 जून। कोयला मंत्रालय (Coal Ministry) द्वारा कॅमर्शियल माइनिंग (Commercial Mining) के सातवें दौर के तहत 103 कोल ब्लॉक्स (Coal Blocks) को नीलामी के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इन खदानों की नीलामी 24 जुलाई से प्रारंभ होगी। नीलामी की सूची में छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित छह कोल ब्लॉक्स सम्मिलित हैं। इनमें दो कोल ब्लॉक ऐसे हैं, जो किंग कोबरा (King Cobra) का रहवास क्षेत्र है। कोल ब्लॉक्स के अस्तित्व में आने से वन्य जीव संरक्षण के तहत संरक्षित प्राणियों की सूची में आने वाला किंग कोबरा खतरे में पड़ जाएगा।
कोयला मंत्रालय द्वारा 29 मार्च को कमॅर्शियल माइनिंग के 7वें दौर के तहत देश के 103 कोल ब्लॉक्स की नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की गई है। सूचीबद्ध किए गए कोल ब्लॅकस में 23 छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित हैं। इन 23 में छह कोल ब्लॉक्स बरपाली- करमीटिकरा, बताती कोल्गा ईस्ट, बताती कोल्गा नॉर्थ ईस्ट, जिल्गा बरपाली, कोरकोमा, फतेहपुर साउथ कोरबा जिले में है। ये सभी कोल ब्लॉक्स कोरबा वन मंडल क्षेत्र में स्थित हैं।
इसमें बताती कोल्गा ईस्ट और बताती कोल्गा नॉर्थ ईस्ट कोल ब्लॉक उस इलाके में समाहित, जो किंग कोबरा यानी नागराज के रहवास के लिए जाना जाता है। प्रस्तावित उक्त दोनों कोल ब्लॉक्स के दायरे में ग्राम कोल्गा, सराईडीह, मदनपुर, चचिया, पसरखेत, धौराभाठा स्थित है।
बीते 10 सालों से इस क्षेत्र में किंग कोबरा का मूवमेंट बना हुआ है। 15 फीट तक लंबाई वाले किंग कोबरा देखे गए हैं। कई दफे इसे रेस्क्यू कर घने जंगल में छोड़ा गया है।
बताती कोल्गा ईस्ट कोल ब्लॉक का 67 फीसदी एरिया वन क्षेत्र है। जबकि बताती कोल्गा नॉर्थ ईस्ट कोल ब्लॉक का 70 प्रतिशत क्षेत्र वन आच्छादित है। दोनों कोल ब्लॉक के दायरे में ही किंग कोबरा बहुतायत संख्या में उपलब्ध हैं। किंग कोबरा वन्य जीव संरक्षण के तहत संरक्षित प्राणियों में आता है। कोरबा वन मंडल द्वारा किंग कोबरा की मौजूदगी को देखते हुए पसरखेत बेल्ट को संरक्षित करने का काम कर रहा है।
यदि इस इलाके में कोयला खदानें शुरू होती हैं तो वन के साथ वन्य प्राणी भी प्रभावित होंगे। न केवल किंग कोबरा बल्कि अन्य प्रजातियों के सांपों की भी यहां बड़ी संख्या में मौजूदगी है। यह पूरा क्षेत्र हाथियों के मूवमेंट वाला भी है। कोल्गा और पसरखेत के ग्रामीण प्रस्तावित कोयला खदानों का विरोध कर रहे हैं। स्नेक कैचर जितेन्द्र सारथी कहते हैं किंग कोबरा का व्यवहार अन्य सांपों से अलग होता है। वे झाड़ियों में पत्तों का ढेर रूपी घोसला बनाकर रहते हैं। इस क्षेत्र में कोयला खदानों के शुरू होने से किंग कोबरा सहित अन्य वन्य प्राणियों पर खतरा मंडराएगा। राज्य सरकार को चाहिए कि इस इलाके में कोल ब्लॉक्स न खुलने दे।
किंग कोबरा के बारे में
- किंग कोबरा 6 मीटर तक लंबा हो सकता है। इसमें इतना जहर होता है कि अगर ये हाथी को भी डस ले तो उसका बचना नामुमकिन है।
- यह 20 साल तक जीवित रह सकता है। किंग कोबरा घोसला बनाकर रहते हैं। मादा कोबरा अपने अंडों को इसी में रखती हैं।
- किंग कोबरा का वैज्ञानिक नाम ओफियोफोगस हन्नाह है। ओफियोफोगस ग्रीक शब्द है, जिस अर्थ सांप खाने वाला होता है। किंग कोबरा खुद जहरीले सांपों को खा जाता है। यानी दूसरे सांप ही इसका प्रमुख आहार है।
- इन्हें इंसानों की मौजूदगी पसंद नहीं होती है। शायद यही वजह है कि इंसान इन्हें कम ही देख पाते हैं।
- एक दिलचस्प बात यह बताई जाती है कि जरूरी नहीं कोबरा काटने के बाद इंसान के शरीर में जहर छोड़े ही। ऐसा भी हो सकता है कि वह बिना जहर के काट ले।
- किंग कोबरा को भारत में पवित्र सांप मानकर पूजा भी जाता है।
- ये सांप भारत के अलावा, चीन और एशिया के कई देशों में पाए जाते हैं।
- किंग कोबरा भारत में वन्य जीव संरक्षण के तहत संरक्षित प्राणियों में से है। इसे शांतिप्रिय या आक्रमण न करने वाला सांप माना जाता है। यही वजह है कि इनके की घटनाएं कम आती हैं।
- दिलचस्प बात यह है कि किंग कोबरा सांप अपने फन को जमीन से डेढ़ मीटर की ऊंचाई तक खड़ा कर सकते हैं, जिससे इसका आकार बेहद डरावना दिखता है।
- ये पानी में भी तैर सकते हैं इसलिए किंग कोबरा तालाब या झील के आसपास दिख जाते हैं।
- ये इतने खतरनाक होते हैं कि 3 मीटर दूरी तक जहर उगल सकते हैं। इनके जहर की एक बूंद से आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है।
- इनके काटने से 30 मिनट से भी कम समय में इंसान की मृत्यु हो सकती है।
- ये फुफकारते हैं तो अलग तरह की आवाज होती है। ऐसे में समझदारी इसी में है कि किंग कोबरा दिखे तो भाग लें। किंग कोबरा जहर की फैक्ट्री है।